जब भी गणेशजी की पूजा करते हैं, हमें एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि भगवान के दर्शन सामने से ही करें। गणेशजी की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार गणेश के शरीर पर जीवन और ब्रह्मांड से जुड़े अंग का वास माना गया है। पीठ पर दरिद्रता का वास: गणेशजी के माथे पर ब्रह्मलोक, सूंड पर धर्म, कानों पर वेदों का ज्ञान, दाएं हाथ में वर यानी भक्तों के लिए आशीर्वाद, दूसरे दाएं हाथ में बुराइयों को रोकने के लिए अंकुश, बाएं हाथ में अन्न, दूसरे बाएं हाथ में कमल यानी पवित्रता, पेट में सुख-समृद्धि, नाभी पर ब्रह्मांड, आंखों में भक्तों के लिए प्रेम, पैरों में सातों लोकों का वास है। गणेशजी के सामने से दर्शन करने पर ये सभी सुख भक्तों को प्राप्त होते हैं। गणेशजी की पीठ पर अलक्ष्मी यानी दरिद्रता का निवास माना जाता है। जो लोग इनकी पीठ के दर्शन करते हैं, उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ सकता है। जाने-अनजाने पीठ के दर्शन हो जाए तो श्रीगणेश से क्षमा याचना करनी चाहिए और श्री गणेशाय नम मंत्र का जाप करना चाहिए। स्वस्तिक जरूर बनाएं: गणेशजी की पूजा में स्वस्तिक जरूर बनाना चाहिए। ध्यान रखें कभी भी आड़ा-टेढ़ा स्वस्तिक न बनाएं। ये चिह्न एकदम सीधा और सुंदर बनाना चाहिए। घर में कभी भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए। उल्टा स्वस्तिक मंदिरों में बनाया जाता है। किसी खास मनोकामना के लिए मंदिर में उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं। घर में जहां स्वस्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए। जहां स्वस्तिक बनाएं, वहां बिल्कुल भी गंदगी नहीं होनी चाहिए।