खतरों के खिलाड़ी ना बनें

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ज्यादातर लोग समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कोरोना से कितना और कैसे बचाव करना है। इस चकर में वे पूरी तरह से मानसिक रोगी हुए जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि कोरोना की इस त्रासदी का सबसे बड़ा जो नुकसान होने वाला है वह होगा ‘मानसिक’। ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कुछ लोग आजकल जरूरत से ज्यादा सावधानी रख रहे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो खतरों के खिलाड़ी बने घूम रहे हैं। जाने कितने लोग मानसिक तौर पर टूट चुके हैं, जिसे बयान नहीं किया जा सकता है। कुछ लोग खुद को और अपनों को बचाने की जुगत में लगे हैं, इसी चक्कर में ये लोग बेहद परेशान हुए जा रहे हैं। तीन दिन पहले जब मैं अपने लाइंट से एक मीटिंग और प्रेजेंटेशन के सिलसिले में मिला, तो वहां उस कंपनी का मार्केटिंग हेड भी आया हुआ था। वह हमारा दोस्त है और घर से निकलने से पहले उससे हमारी बात हुई थी। वह अपनी कार से निकला था और अपनी कार में उसने पीपीई किट वाला हेड कवर पहना था, मास्क लगाया था, उसके ऊपर फेस शील्ड भी थी। कार उसकी अपनी थी, घर पर खड़ी थी, कोई दूसरा उस गाड़ी में चार महीने से नहीं बैठा था।

फिर भी पर्सनल गाड़ी में वह इतनी सुरक्षा के साथ बैठा था, बल्कि वह पूरी पीपीई किट पहनकर आ रहा था, उसे हमने ही मना किया था कि पर्सनल कार के भीतर, एसी चला कर बैठने में आपको इस तरह की सुरक्षा की जरूरत बिल्कुल भी नहीं होती। लोगों को लगता है कि कोरोना एयरबोर्न है, यानी हवा से हवा में फैलने वाला, शायद इसीलिए वे इतनी सुरक्षा कर रहे हैं। शायद वे नहीं जानते कि आप सड़क पर अकेले कार में जा रहे हैं तो वहां आपको कोरोना वायरस नहीं पकड़ेगा। एयरबोर्न का मतलब ये नहीं है कि वह खुले में हवा से फैल रहा है। कोरोना केस में एयरबोर्न का मतलब यह है कि अगर आप किसी कोरोना मरीज के बिल्कुल सामने या पास में हैं और उसने खांसा, छींका या जोर से बात की, तब हवा के द्वारा वह आप तक आ सकता है। अगर कोरोना के मरीज ने किसी बंद कमरे जैसे पब्लिक टॉयलेट या ऐसा कमरा जहां वेंटिलेशन नहीं है, वहां छींका या खांसा है तो उस बन्द कमरे या टॉयलेट में कुछ मिनटों तक कोरोना हवा में ड्रापलेट्स (पानी के महीन कण जो नाक से या मुंह से निकते हैं) के माध्यम से मौजूद रहेगा, जो कुछ देर बार गायब हो जाती हैं।

इसलिए खुली जगह या खुली सड़क पर कोरोना हवा में ऐसे नहीं उड़ा करता है। खुले में आप अकेले हैं तो वहां किसी मास्क की भी जरूरत नहीं होती है। आपकी कार या बाइक घर के अंदर खड़ी है, किसी पब्लिक प्लेस पर नहीं, उसे कोई बाहरी शक्स छू भी नहीं रहा तो उसका हैंडल या सीट छूने पर आपको अपने हाथ सैनिटाइज करने की जरुरत नहीं होती है। बार-बार हाथ धोने के लिए इसलिए भी कहा जाता है कि आदत पड़ी रहे। जब आप पिलक प्लेस पर जाएं तो कुछ भी छूने पर अपने हाथ अच्छी तरह धोने होते हैं। मगर घर में बैठकर आपको अपने घर के दरवाजे या घर के अंदर खड़ी कार का हैंडल छूने के बाद हाथ नहीं धोने से भी कुछ नहीं होगा। जब तक कि उस हैंडल या कार को किसी बाहरी व्यक्ति ने न छुआ हो। घर में आपके साथ रह रहे लोगों ने भी बाइक का हैंडल या कार छू ली हो तो भी कोई दिक्कत नहीं होगी। आपकी कार बाहर धूप में खड़ी है और उसमें कोई बाहरी नहीं बैठा है, तो आपको उसकी सीट या स्टेयरिंग को सैनिटाइज करने की बिल्कुल भी जरुरत नहीं। चुपचाप आप उसमें बैठकर बाहर जा सकते हैं।

मास्क की गाइडलाइंस भी सरकार ने इसीलिए बनाई है ताकि लोगों की मास्क पहनने की आदत बनी रहे और बचाव होता रहे। मगर मास्क सिर्फ सार्वजनिक जगहों के लिए ही होता है, जहां आसपास बाहरी लोग हों। आपके घर के अंदर या खाली पड़ी सड़कों या लंबे हाइवे के लिए नहीं, योंकि ऐसी जानकारी मिल रही है कि बेवजह लंबे वक्त तक मास्क लगाना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि इससे आपकी इयूनिटी भी कम हो सकती है, तो बचाव उतना रखें जितना यह आपको मानसिक रोगी न बनाए। अलर्ट रहना बहुत जरूरी है और यह भी सच है कि कोरोना वायरस हमें अपनी आंखों से दिखाई नहीं देता है। लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि उससे बचने के लिए टोटकों में न उलझ कर रह जाएं। इस बात पर भी ध्यान दें कि आपका मानसिक रूप से स्वस्थ रहना इयूनिटी और कोरोना से लडऩे के लिए बहुत ही ज्यादा जरूरी है। हम शरीर और मन से जितने ज्यादा मजबूत होंगे इस महामारी से उतनी ही अच्छी तरह निपट सकेंगे।

सिद्धार्थ ताबिश
(लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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