कोरोना वायरस : योगी और गहलोत अपनी जगह सही

0
217

राजस्थान का कोटा शहर आजकल शिक्षा का बड़ा केंद्र बन गया है। वहां उत्तर प्रदेश के लगभग 7-8 हजार छात्र फंसे हुए हैं। उन्होंने अपने-अपने गांव और शहर लौटने का अभियान चला रखा है। उन्हें खाने-पीने की समस्या तो सता ही रही है, उससे भी ज्यादा मानसिक तनाव और असुरक्षा ने उनका जीना हराम कर दिया है। उनके माता-पिता भी चाहते हैं कि इस संकट के समय वे उनके साथ रहें। अब जबकि तालाबंदी को बढ़ाने की घोषणा हुई तो उन लोगों में बेचैनी और भी बढ़ गई। इस पर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने 250 बसें भेजकर छात्रों को कोटा से उ.प्र. बुलवाना शुरु कर दिया है। योगी की इस पहल पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति है।

योगी भाजपाई हैं और गहलोत कांग्रेसी ! लेकिन दोनों में पूर्ण समन्वय है। इन दोनों का विरोध बिहार के मुख्यमंत्री नीतीशकुमार जोरों से कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि जब बिहार के छात्रों को वे नहीं बुला रहे हैं तो योगी क्यों बुला रहे हैं ? योगी भाजपाई होकर अपने ही प्रधानमंत्री की तालाबंदी को तोड़ रहे हैं। वे सभी छात्रों को, वे जहां हैं, वहीं जमे रहने के लिए क्यों नहीं कहते ? यदि कुछ हजार छात्र सिर्फ कोटा से आज अपने घर लौटेंगे तो अन्य शहरों में ऐसे लाखों छात्र हैं। क्या उनके लौटने पर यह कोरोना सारे देश में नहीं फैल जाएगा ?

तर्क की दृष्टि से नीतीश की बात ठीक है लेकिन व्यावहारिक वही है, जो योगी और गहलोत कर रहे हैं। जिस दिन तालाबंदी की घोषणा हुई थी, उसी दिन मैंने लिखा था और कई टीवी चैनलों पर मैंने कहा था कि तीन दिन के लिए रेलें और बसों को मुफ्त चला दिया जाए ताकि करोड़ों प्रवासी मजदूर, छात्र, व्यापारी और यात्रीगण अपने-अपने घर पहुंच जाएं। इन फंसे हुए लोगों की सेवा हमारी सभी सरकारें और समाजसेवी संगठन जमकर कर रहे हैं लेकिन अब जबकि 20 अप्रैल से बहुत-सा काम-काज पूरे देश में खुलनेवाला है तो मेरा निवेदन है कि प्रवासी मजदूरों, छात्रों तथा अन्य सभी लोगों के लिए 3-4 दिन तक बसों और रेलों को निःशुल्क चला दिया जाए। कोटा से यात्रा करनेवाले छात्रों के साथ जितनी सावधानियां बरती जा रही हैं, यदि उतनी ही अन्य यात्रियों के साथ भी बरती जाएगी तो कोरोना के फैलने की आशंका कम से कम होगी। वरना, उल्टा भी हो सकता है। छात्रावासों में रहनेवाले छात्रों और भीड़भरी झुग्गी-झोपड़ियों के मजदूरों में यदि कोरोना फैल गया तो भारत का हाल अमेरिका-जैसा हो सकता है।

 

डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here