कार्तिक पूर्णिमा

0
385

असंख्य दीपदान से जगमग होंगे गंगातट और सरोवर
स्नान-दान-व्रतादि की पूर्णिमा 12 नवम्बर, मंगलवार
भगवान कार्तिकेय के दर्शन-पूजन से मिलेगी सुख-समृद्धि

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा तिथि अत्यन्त पावन मानी गई है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि के दिन देवाधिदेव महादेवजी ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था तथा शिवजी के आशीर्वाद से दुर्गारुपिणी पार्वती जी ने महिषासुर का वध करने के लिए शक्ति अर्जित की थी। इसी दिन सायंकाल भगवान श्रीविष्णुजी मत्स्यावतार के रूप में अवतरित हुए थे। कार्तिक पूर्णिमा का पुनीत पर्व 12 नवम्बर, मंगलवार को हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाएगा। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 11 नवम्बर, सोमवार की सायं 6 बजकर 02 मिनट पर लगेगी जो कि 12 नवम्बर, मंगलवार की सायं 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगी। स्नान-दान-व्रतादि की पूर्णिमा का पर्व 12 नवम्बर, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्रीविष्णुजी एवं देवाधिदेव, श्रीशिवजी के पुत्र श्रीकार्तिकेय जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है।

कैसे करें पूजा – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रातःकाल ब्रह्मामुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत होकर अपने अराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात कार्तिक पूर्णिमा के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूर्णिमा तिथि के दिन प्रातःकाल गंगा-स्नान करके देव-दर्शन के पश्चात ब्रह्मण को यथाशक्ति दान करके पुण्यफल अर्जित करना चाहिए। सायं प्रदोषकाल में दीपदान करने का प्रावधान है। देवालयों में दीपक प्रज्वलित करके आकर्षक व मनमोहक दीपमालिक सजाई जाएगी। गंगाजी एवं सरोवरों के तट पर दीपदान किया जाएगा। आज के दिन पीपल, आंवला एवं तुलसीजी के वृक्षों का जलसिंचन करके दीपक जलाकर उनका पूजन किया जाता है। इस दिन प्रतीक के स्वरूप में क्षीरसागर के दान का भी विधान है। 24 अंगुल के नवीन पात्र में गौ दूध भरकर उसमें सोने या चांदी की बनी मछली छोड़कर ब्राह्मण को विधि सहित दान देने से जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति बतलाई गई है। कार्तिक माह के प्रथम दिन से प्रारम्भ हुए धार्मिक नियम-संयम आदि का समापन आज केदिन कार्तिक पूर्णिमा 12 नवम्बर, मंगलवार को हो जाएगा। ज्योतिषविद् श्री विलम जैन जी ने बताया कि श्रीसत्यनारायण भगवान की कथा-पूजन का आयोजन भी आज के दिन किया जाता है। व्रत रखकर या फलाहार ग्रहण करके श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्रों में कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए दान व पुण्य का फल दस यज्ञों के फल के समान बतलाया गया है।

सिक्ख धर्म के संस्थापक श्रीगुरुनानक देव जी का जन्मोत्सव-प्रकाशोत्वस भी श्रद्धा व उल्लास के साथ आज के दिन मनाया जाता है। इस दिन अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखकर कार्तिक पूर्णिमा के दिव-दीपावली पर्व मनाना चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here