कम्प्यूटराइज्ड पंचांगों में 29 सितंबर को तो पारंपरिक पंचांगों में आज बदलेगी शनि की चाल

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न्याय के देवता शनि देव के चाल में बदलाव की तिथि को लेकर पंचांगों में मतभेद है। देशभर से निकलने वाले पारंपरिक पंचांगों और कम्प्यूटराइज्ड पंचांगों में शनि की चाल बदलने की तारीख अलग- अलग बताई जा रही है। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के मुताबिक शनि एक राशि में करीब ढाई साल तक रहता है फिर दूसरी राशि में जाता है। इस तरह 30 सालों में 12 राशियों का एक चक्कर पूरा करता है। देशभर के कम्प्यूटराइज्ड पंचांगों का कहना है कि 29 सितंबर को शनि मकर राशि में मार्गी होगा यानी सीधी चाल चलेगा। वहीं, पारंपरिक पंचांगों के मुताबिक 26 सितंबर को शनि धनु राशि में सीधी चाल से चलेगा। 3 ग्रंथों से लिया जाता है पारंपरिक पंचांगों का गणित जानकारों का कहना है कि देशभर से करीब सवा सौ से ज्यादा कम्प्यूटराइज्ड पंचांग अलग-अलग जगहों से प्रकाशित होते हैं। वहीं पारंपरिक पंचांग जो वाराणसी, उज्जैन, जबलपुर, दरभंगा और महाराष्ट्र से निकलते हैं। पारंपरिक पंचांग सूर्यसिद्धांत, ग्रहलाघव और केतकीग्रहगणित ग्रंथ की मदद से बनाए जाते हैं। वहीं, कम्प्यूटराइज्ड पंचांग ग्रहों की वर्तमान भौगोलिक स्थिति से बनाए जाते हैं। इसलिए दोनों पंचांगों में ग्रहों की स्थिति में अंतर रहता है। गणना में अंतर: दोनों पंचांगों की गणना में अंतर होने से 109 दिनों तक शनि देव अलग-अलग राशियों में नजर आएंगे। ज्योतिषाचार्य पं. मिश्र का कहना है कि 2 अगस्त से 19 नवंबर के बीच जिन बच्चों का जन्म होगा उनकी कुंडली में शनि की स्थिति अलग-अलग होने से भविष्यफल भी अलग-अलग होगा। जो लोग कम्प्यूटर आधारित पत्रिका बनाएंगे उनकी कुंडली में शनि मकर राशि में रहेगा। वहीं, परंपरागत पंचांगों के आधार पर बनी कुंडली में 109 दिनों तक शनि की स्थिति धनु राशि में रहेगी। इससे दोनों का भविष्यफल अलग-अलग होगा। साढ़ेसाती के प्रभाव: पं. मिश्र का कहना है कि कंप्युटराइज्ड पंचांगों के मुताबिक मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढय्या चल रही है। वहीं वृष व कन्या राशि के लोग ढय्या शनि के प्रभाव से मुक्त रहेंगे। इनके अलावा धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोग साढ़ेसाती के प्रभाव में है। वहीं वृश्चिक राशि के लोग साढ़ेसाती से मुक्त होंगे। साढ़े साती के प्रभाव राशि के अनुसार अलग-अलग होंगे।

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