बभारत की सीमाओं पर सब कुछ सामान्य सा नहीं दिखाई दे रहा है। अभी तक पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा पर नापाक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ रहा था। आये दिन पाकिस्तान सीज फायर का उल्लंघन करता रहता है। कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराना पाकिस्तान की आदत में शामिल हो चुका है। भारत ने पाकिस्तान को समय-समय पर मुंहतोड़ जवाब भी दिया। सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिए दंडित भी किया। अब नेपाल भी सीमा को लेकर विवाद खड़ा कर रहा है। नेपाल ने कई भारतीय क्षेत्रों पर अपना झूठा दावा जताया है। नेपाल ने अपने राष्ट्रीय नशे को संशोधित करने के लिए नेपाली संसद में बिल भी पेश किया है। नेपाल की सीमा पर अभी कोई तनाव नहीं है। अभी भी भारत नेपाल सीमा पर मैत्रीपूर्ण संबंध बना हुआ है। परन्तु भारत-चीन नियंत्रण रेखा पर लगातार तनाव बढ़ रहा है। चीन द्वारा पिछले दिनों भी अविवेकपूर्ण कार्रवाई नियंत्रण रेखा पर की गई। अभी तक चीन की तरफ से दावा किया जा रहा था कि समस्याओं को बातचीत द्वारा सुलझा लिया जायेगा। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथसिंह ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय और चीनी सैन्य अफसरों के बीच बैठक छह जून को होनी है।
उन्होंने कहा है कि भारत अपनी मौजूदा स्थिति से किसी भी कीमत पर कदम पीछे नहीं लेगा। सरकार किसी भी रूप में देश का मस्तक झुकने नहीं देगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन वहां तक आ गया हैं जिस वह अपना मानता है जबकि भारत उसे अपना मानता है। दोनों देशों के बीच इस बात को लेकर मतभेद है। स्थिति यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार पूर्वी लद्दाख के भारतीय सीमा में बड़ी संया में चीनी सैनिक अवैध रूप से घुस आए है। भारतीय क्षेत्र गालवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की उपस्थिति है। हालांकि इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है। परंतु सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि चीनी सैनिकों ने यह हरकत कैसे की। कैसे वे भारतीय क्षेत्र में आये। भारत चीन सीमा पर तनाव एक महीने से जारी है। पांच मई को चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में घुस आये थे। जहां भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की हाथापाई हुई थी। पैंगोंग त्सो झील की घटना 9 मई को हुई। भारत ने सेना की तैनानी सीमा पर करनी शुरू कर दी है। वायुसेना ने भी अपनी कमर कस ली है।
यह भारत का प्रशंसनीय कदम है। भारत चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। अगर चीन की तरफ से कोई भी कार्रवाई की गई तो भारत निर्णायक जवाब देगा। यदि बातचीत से कोई हल नहीं निकलता है तो भारत को कड़े कदम उठाने चाहिये। चीन को ऐसा सबक देना होगा कि चीन दोबारा ऐसी हरकत न कर सके। भारत की ऐसी कार्रवाई होनी चाहिये की भारत के सभी पड़ोसी देशों के समक्ष नजीर बन जाय। जिससे कोई भी पड़ोसी भारत जैसे शान्ति प्रिय देश को आंख न दिखा सके। भारत के शान्तिप्रिय स्वभाव के कारण आजादी के बाद कई युद्ध थोपे गये। पाकिस्तान युद्धों में परास्त होने के बाद अब छदम युद्ध पर उतारू है। जबकि चीन भारत के साथ शान्ति की बात बढ़ाने का करते हुए युद्ध कर चुका है। चीन को भी मालूम है कि भारत 1962 वाला भारत नहीं है। एक परमाणु संपन्न व विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। कोई भी कार्रवाई चीन के लिए भारी पड़ेगी यह चीन भी आंकलन करता है। इन सब स्थितियों के बावजूद भारत को अपने कड़े रूख पर कायम रहते हुए चीन को कदम पीछे खींचने पर मजबूर करना चाहिए। इसके लिए चाहे जो भी करना हो भारत को सर्वदा तैयार रहना होगा।