योगी सरकार आने के बाद यूपी पुलिस खासकर मेरठ रेंज पुलिस ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए। कई मुजरिमों को मौत के घाट उतार दिया। एनकाउंटर का वो सिलसिला जारी है। अंतर सिर्फ इतना है कि अब पुलिस की गोली से बदमाश मरते नहीं सिर्फ घायल होते हैं। उन्हें गोली तो लगती है लेकिन सिर्फ पैर में। हर मुठभेड़ में निशाना होता है बदमाश का पांव, चाहे वो भाग रहा हो, या फिर पैदल हो। बाइक पर सवार हो या फिर गाड़ी पर चल रहा हो। यूपी खासकर मेरठ जोन की पुलिस की गोली सीधे बदमाश के पांव में ही लगती है। खास बात ये कि इन बदमाशों के एनकाउंटर की कहानी भी एक जैसी होती है। कभी-कभार निशानेबाजी का अगयास करने वाली पुलिस के जवानों और अफसरों के निशाने या तो शानदार हैं या फिर तय पटक था के आधार पर मुठभेड़ की कथा लिखी जा रही है? ऐसे केस कोई दस-बीस नहीं बल्कि अब तक 478 बदमाश इसी स्टाइल से गिरफ्तार हुए हैं।
12 सितम्बर : अभी ताजा-ताजा उदाहरण देखिए-नोएडा पुलिस की देर रात तक रीबन 1 बजे शातिर बदमाश आतिश पादरी से मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में उसे पैर में गोली लगी फिर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक आतिश पादरी मध्य प्रदेश का रहने वाला है। नोएडा समेत एनसीआर में लूट की वारदात को अंजाम दे रहा था। पुलिस को सूचना मिली की वो वारदात को अंजाम देने आ रहा है। पुलिस ने उसे घेरा और रोकने की कोशिश की. उसने भागने की कोशिश की। पुलिस ने गोली चलाई जो उसके पैर में जा लगी।
11 सितम्बर: गाजियाबाद के मसूरी इलाके में शाम के तकरीबन साढ़े 5 बजे 25 हजार के इनामी बदमाश मोहसिन के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई। मोहसिन के पैर में गोली लगी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक मोहसिन उत्तराखंड में मोबाइल के शो रूम में हुई करोड़ों की चोरी में शामिल था। पुलिस को ख़बर मिली थी कि वो मसूरी इलाके में है। चेकिंग के दौरान मोहसिन को पुलिस ने रोकने की कोशिश की। उसने भागने की कोशिश की। पुलिस ने गोली चलाई जो जाकर सीधे उसके पैर में लगी।
10 सितम्बर: ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर इलाके में शाम के तकरीबन साढ़े 5 बजे 2 शातिर हत्यारों से पुलिस की मुठभेड़ हुई। इसमें सुखमीत और योगेश नाम के बदमाशों के पैर में गोली लगी। फिर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक दोनों दादरी में हुए एक मर्डर के मामले में वॉन्टेड थे। पुलिस को सूरजपुर इलाके में दोनों के आने की ख़बर थी। पुलिस ने दोनों को पकडऩे की कोशिश की। इस दौरान मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने गोली चलाई और फिर दोनों के पैर में जाकर गोली लगी।
9 सितम्बर: गाजियाबाद पुलिस सिहानीगेट इलाके में चेकिंग कर रही थी। उसी दौरान बावरिया गिरोह के अजीत बावरिया से पुलिस का आमना सामना हो गया। मुठभेड़ हो गई। पुलिस ने गोली चलाई। अजीत के पैर में गोली लगी। उसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा था कि इस दौरान उसका एक साथी फरार हो गया।
एक जैसे एनकाउंटर : ये सारे एनकाउंटर मेरठ जोन की पुलिस ने किए हैं। लगभग हर मुठभेड़ में पुलिस का निशाना इतना सटीक रहा कि बदमाशों के पैर में ही गोली लगी। लगभग हर मुठभेड़ में पुलिस की कहानी मिलती-जुलती ही लगती है। सवाल ये है कि 100 में से 98 मुठभेड़ों में बदमाशों के पैर में ही गोली क्यों लगती है? दिन हो या रात का अंधेरा पर गोली लगेगी पैर में।
कितने एनकाउंटर: मेरठ रेंज पुलिस ने पहली जनवरी 2019 से लेकर 12 सितम्बर तक यानी 9 महीनें में 674 एनकाउंटर किए। जिनमें 1142 आरोपी बदमाश गिरफ्तार किए गए। एनकाउंटर के दौरान 478 बदमाश घायल हुए यानी इन 478 बदमाशों के साथ एनकाउंटर में पुलिस का निशाना सटीक रहा और सभी के पैर में ही गोलियां लगीं। 19 बदमाशों की एनकाउंटर के दौरान पुलिस की गोली लगने से मौत हुई। पुलिस का दावा है कि इस दौरान 132 पुलिस वाले भी घायल हुए हैं।
केवल मेरठ में : प्रदेश में जब से योगी सरकार आयी है मेरठ पुलिस भी बदमाशों को ढूंढ-ढूंढकर गोली मार रही है। अब तक 225 मुठभेड़ पुलिस कर चुकी हैं, जिसमें 215 बदमाश घायल हुए। 335 बदमाशों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 16 बदमाशों को मार गिराया गया। इन मुठभेड़ में 40 पुलिसकर्मी भी बदमाशों की गोली लगने से घायल हुए हैं। हालांकि मेरठ के एसएसपी अजय साहनी इन आंकड़ों को तेजी के साथ ऊपर की ओर ले जा रहे हैं। अजय साहनी के समय में 72 दिनों के अंदर हुए एनकाउंटर की बात करे तो मुठभेड़ में पुलिस ने 6 बदमाशों को मार गिराया है। इन मुठभेड़ में मेरठ 65 बदमाशों को पुलिस ने पैर में गोली मारकर घायल किया है, जबकि मुठभेड़ के दौरान तीन दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी भी घायल हुए है।
एडीजी का जवाब : यूपी पुलिस के एनकाउंटर पर कई बार सवाल उठते रहे हैं। खासकर एक तरह से लगभग हर एनकाउंटर की बनी बनाई पटक था पर और बदमाशों के पैर में गोली लगने पर। मेरठ रेंज के एडीजी प्रशांत कुमार ने बातचीत में कहा कि कौन सवाल उठा रहा है कि पैर में ही गोली क्यों लगती है? अगर बदमाश सवाल उठाते हैं तो कौन बदमाश पुलिस पर सवाल नहीं उठाता? एनकाउंटर के बाद जिन बदमाशों के पैर में गोली लगती है। उनका अस्पताल में इलाज करवाया जाता है। उसके बाद जेल भेज दिया जाता है। बेल मिलने पर वो बाहर आ जाते हैं और सभी के पैर सही सलामत ही रहते हैं।
खुली छूट : योगी सरकार के आने के बाद यूपी पुलिस के दनादन होने वाले एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। हालांकि यूपी पुलिस ने उस पर भी जवाब दे दिया था लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री ने पुलिस को बदमाशों पर जरुरत पडऩे पर गोली चलाने की खुली छूट दे रखी है। चर्चाएं हैं कि क्या पुलिस वाले अपने नंबर बनाने के चक्कर में बदमाशों को पकडक़र पैर में गोली मारकर गिरफ्तारी दिखाने के आदी तो नहीं हो रहे हैं?