उम्मीदों का बजट

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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना व मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया। सभी की नजर इस बहुप्रतीक्षित बजट पर टिकी हुई थी। प्रचंड जनादेश के बाद स्वाभाविक है लोगों की सरकार से उम्मीद भी प्रचंड थी। बजट को लेकर सियासी दलों के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की राय भी ग्रामीण भारत से लेकर शहरी भारत तक की अपेक्षाओं पर एक जैसी नहीं थी। बाजार ने भी अपनी नाखुशी जाहिर की है। सेंसेक्स 546 अंक और निफ्टी 161 अंक तक टूट गये। घर के खरीदारों को जरूर ब्याज में 3.5 लाख रुपये तक की छूट दी गयी है। इसी तरह ई-व्हीकल्स खरीदने का अतिरिक्त टैक्स छूट देने की घोषणा हुई है। टैक्स स्लैब पर कोई कर नहीं है। पेट्रोल-डीजल पर एक रुपये अतिरिक्त सेस लगाया गया है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाने की घोषणा हुई है। यह वक्त की जरूरत है।

नवाचार तक नीक और ज्ञान के क्षेत्र में कि सी भी देश के लिए बड़ी उपलब्धि जैसा है। चीन और जापान जैसे देश शोध के क्षेत्र में अग्रणी होने के नाते समृद्ध हैं। मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में यह किस तरह आपरेट करेगा, यह देखने वाली बात होगी। सोना जरूर महंगा हुआ है लेकिन महिलाओं को अपने खाते में 5 हजार रुपये का ओवरड्राफ्ट और एक लाख रुपये कर्ज की व्यवस्था दी गयी है। इससे बड़ी तादाद में जनधन खाताधारक महिलाओं को लाभ होगा। मोटे तौर पर बजट में गरीब, किसान, मजदूर और छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए पहले से चली आ रही योजनाओं को आगे भी जारी रखने की व्यवस्था की गयी है। स्वच्छता की तर्ज पर ही इस बजट में 2022 तक हर घर में नल से जल को प्राथमिकता दी गयी है। देश में 17 फीसद आबादी ही नल से जल का लाभ उठा पा रही है।

हालांकि जल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहते हैं पर सरकार ने नल से स्वच्छ जल सभी को उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है। देश में यों भी कई राज्यों में पानी का संकट गर्मी के दिनों में गहराने लगा है। यूपी के बुंदेलखंड क्षेत्र में पठारी जमीन होने के नाते लोगों के लिए पीने के पानी का संकट गंभीर हो जाता है। इस लिहाज से बजट में नल से जल योजना स्वागत योग्य कदम है। स्वास्थ्य योजना पर जरूर इसमें कुछ नया नहीं है। लोगों को मोदी केयर के विस्तार की उम्मीद थी, लेकिन इस मद में अब भी जीडीपी का एक फीसदी ही उपलब्ध है। रोजगार को लेकर इस बजट में सीधे तौर पर कुछ भी नहीं है लेकिन स्टैण्ड अप इंडिया, आंत्रप्रेन्योरशिप कौशल विकास, मुद्रा लोग जैसी कोशिशें कहीं न कहीं रोजगार का जरिया भी बनती हैं, यह उम्मीद जतायी गयी है।

अगले पांच वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डालर तक पहुंचाने की है। इस यात्रा में मोदी सरकार मानती है कि बेरोजगारी के सवाल को जवाब मिल जाएगा। बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में भी बेहतर भविष्य को संजोया गया था। बजट में भी उसी को समेटा गया है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पहले ही तरह विशेष जोर है। बैंकिंक सेक्टर के एनपीए से निपटने के लिए एनबीएफ सी बनी है, इससे धीरे-धीरे बैंकों का एनपीए घट रहा है। फिलहाल बैंकों की मौद्रिक तरलता बढ़ाने की बजट में व्यवस्था की गयी है जिससे लघु उद्योगों को जीवंत बनाया जा सके। बजट में उह्यमीद का वातावरण तो है लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए सभी को पारदर्शिता से जुटना होगा। शायद इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते थे कि पैसे पेड़ पर नहीं फलते। मतलब साफ है राजस्व को मजबूत करना होगा।

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