चिंतामन गणेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर दूर है। मंदिर में भगवान गणेश की स्थापना को लेकर कई तरह के इतिहास है। कहा जाता है कि यहां गणेशजी की स्थापना भगवान श्री राम ने जब की थी तब वे वनवास में थे। बताया जाता है कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान यहां पहुंचे थे।
गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान भक्त भगवान गणेश की आराधना में लीन रहेंगे। आपके आसपास कई गणेश मंदिर होंगे जहां गणेशजी की स्थापना साधारण तरह से हुई होगी। लेकिन आज हम आपको मध्यप्रदेश के एक ऐसे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहें है जिसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। मध्यप्रदेश के उज्जैन मे स्थित चिंतामन गणेश मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां गणेशजी की स्थापना त्रेतायुग में स्वयं भगवान राम द्वारा की गई थी। चिंतामन गणेश मंदिर में भगवान गणेश तीन रूप में विराजीत है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से ही व्यक्ति हर चिंता से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है। गणेश चतुर्थी पर इस मंदिर में अवश्य जाना चाहिए।
चिंतामन गणेश उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमीटर दूर है। मंदिर में भगवान गणेश की स्थापना को लेकर कई तरह के इतिहास है। कहा जाता है कि यहां गणेशजी की स्थापना भगवान श्री राम ने जब की थी तब वे वनवास में थे। बताया जाता है कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान यहां पहुंचे थे। यहां कुछ समय आराम करने के बाद उन्हें आगे बढऩा था। इसी दौरान भगवान राम को महसूस हुआ की यह जगह किसी तरह के दोष से ग्रसित है। जिसके बाद भगवान राम ने मन ही मन यहां महादेव व माता पार्वती के प्रिय पुत्र गणेशजी की स्थापना करने का मन बनाया। जिसके बाद भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण द्वारा एक पत्थर पर भगवान गणेश की स्थापना की। कुछ समय भगवान राम, सीता एवं लक्ष्मण ने यहीं पर समय बिताया और प्रतिदिन गणेशजी की पूजा अर्चना की। इस दौरान लक्ष्मण द्वारा एक बावड़ी बनाई गई जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहते है। जो आज भी यहां पर मौजूद है। कुछ समय रूकने के बाद भगवान राम, सीता और भाई लक्ष्मण को लेकर आगे वन में प्रस्थान कर गए।