विजया एकादशी व्रत 19 फरवरी को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है। भगवान विष्णु की साधना-आराधना के लिए समर्पित एकादशी का सनातन परंपरा में विशेष महत्व है। फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस पावन तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत जीवन में सफलता पाने और मनोकामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है। इसे समस्त पापों का हरण करने वाली तिथि भी कहा जाता है। यह अपने नाम के अनुरूप फल भी देती है।
इस दिन व्रत धारण करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। व्रत विधि शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य मिलता है। पूजा से पूर्व एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें। वेदी पर जल कलश स्थापित कर, आम या अशोक के पत्तों से सजाएं। इस वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप से आरती उतारें। विजयश्री के लिए भगवान राम ने भी किया था व्रत माता सीता को रावण की कैद से मुक्त कराने के लिए जब राम अपनी सेना समेत समुद्र किनारे पहुंचे तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि, हम ये समुद्र कैसे पार करेंगे।
इस पर लक्ष्मणजी ने कहा यहां से कुछ दूरी पर बकदालभ्य मुनि का आश्रम है। प्रभु आप उनके पास जाकर उपाय पूछें। जब रामजी ने बकदालभ्य ऋषि के पास पहुंचकर समस्या बताई तो मुनिश्री ने उपाय बताया। बकदालभ्य ऋषि बोले कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष में जो विजया एकादशी आती है, उसका व्रत करने से आपकी विजय निश्चित होगी और आप अपनी सेना के साथ समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे। बकदालभ्य मुनि के कथनानुसार, रामचंद्रजी ने इस दिन विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत को करने से श्री राम ने रावण पर विजय पाई।