आखिर तथ्य सही क्यों नहीं रखते?

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इंटरव्यू में प्रधानमंत्री से मेक इन इंडिया की असफलता पर सवाल पूछा गया है। जवाब में वे सफल बताने के लिए तीन चार उदाहरण देते है। भारत में रक्षा जरूरतों के समान के उत्पादन के लिए भारतीय कंपनियों से करार किया गया। वाराणसी में डीजल इंजन और अमेठी में राइफल के उत्पाद का उदाहरण देते हैं। बताते है कि जापान से कार की कंपनियां भारत आकर कार बना रही है और उसका उत्पादन कर रही है। 2014 से पहले मोबाइल फोन बनाने की दो फैक्ट्री थी, जो अब 268 हो गई है। प्रधानमंत्री ने मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट शब्द का इस्तमाल किया है।

पिछले साल 17 अक्टूबर को विनीत सचदेव की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2014 में चीन से 6.3 अरब डॉलर का मोबाइल आयात किया थो जो 2017 में घट कर 3.3 अरब डॉलर का हो गया। आपको लगेगा कि यह तो बड़ी कामयाबी है लेकिन दूसरे आंकड़े बताते है कि मोबाइल का पार्ट पुर्जा का आयात काफी बढ़ गया है। बना बनाया नहीं आ रहा है लेकिन जहां 2014 में पार्ट-पुर्जा का आयात 1.3 अरब डॉलर का ही हुआ था वो अब 2017 में 9.4 अरब डॉलर का हो गया है। इस तरह 2014 से 2017 के बीच मोबाइल और मोबाइल पार्ट-पुर्जा का कुल आयात 7.6 डॉलर से बढ़कर 12.7 अरब डॉलर हो गया। 31 मई 2018 के खबर छपी है इसमें प्रधानमंत्री मोदी का बयान है क 2014 में मोबाइल बनाने वाली दो कंपनियां थी जो अब 120 हो गई है।

25 अक्टूबर 2018 को रायटर के हवाले से खबर छपी है कि पिछले चार साल में 120 से अधिक मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के कारण साढ़े चार लाख नौकरियां पैदा हुई है। रायटर ने यह आंकड़ा इंडियन सेलुलर इलेक्ट्रोनिक्स एसोसिएशन के हवाले से दिया है। 22 नवम्बर 2018 को इंडियन सेलुलर इलेक्ट्रोनिक्स एसोसिएशन का बयान छपा है कि भारत में 268 मैन्यूफैक्चिरिंग यूनिट हो गई है। साढ़े छह लाख से अधिक नौकरियां मिली है। यानी 31 मई 2018 से 22 नवम्बर 2018 के बीच 148 फैक्ट्रियां आ गई! और ढाई लाख नौकरियां बढ़ जाती हैं। 27 अगस्त 2016 को रविशंकर प्रदास का बयान छपा है कि पिछले एक साल में 37 मोबाइल मैन्यूफैक्चिरिंग यूनिट लगी है। इस औरत से अगली तीन साल में 100 यूनिट का हिसाब बनता है। इस तरह से डेटा को वैधानिकता प्रदान की जाती है। कोई बयान दे देता है वही डेटा बन जाता है। सत्य जानने का कोई जरिया नहीं है।

सत्य को सिर्फ आप झूठ के फटे कुरत्ते से झांकते हुए देख सकते है। वैसे भारत मोबाइल फोन उत्पादन में दूसरे नंबर का देश बन गया है। इसका जिक्र हर जगह आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान की कार कंपनी यहां आकर कार बना रही है। मोदी कार्यकाल में कौन सी जापान की कार बनाने वाली कंपनी आई है और उत्पादन कर रही है, इसकी जानकारी आप भी पता करें। डैटसन आई है मगर उसकी परेंट कंपनी निसान पले से है। प्रधानमंत्री लिस्ट दे सकते है कि कौन-कौन सी कंपनी जापान से भारत आई है। उनके मंत्री ही बता दे। मारुति सुसूकी पहले से है डजिसने अपना उत्पादन घटा दिया है। मीडिया में जरूर इस बात की रिपोर्ट मिली कि भारत से कार का निर्यात अच्छा है। मगर इसमें जापान की कंपनी का क्या रोल है, इस पर और स्पष्टता की जरूरत है? प्रधानमंत्री अपने इंटरव्यू में साफ साफ की जगह तथ्यों को यहां-वहां से मिला जुलाकर बोलते हैं।

रवीश कुमार
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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