अरबों रुपए की जमीन पर माल्या का था कब्जा,सेठ को बेचकर भाग गए थे विदेश, अब तक एक्शन नही

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मेरठ। यूपी का कोई शहर ऐसा नहीं बचा जहां शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जे ना किए गए हों। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी मामलों को उछालते आ रहे हैं लेकिन अभी कोई ठोस एक्शन सामने नहीं आया है। मेरठ के अदुल्लापुर एरिया में बरसों- बरस शिया वक्फ बोर्ड की अरबों की जमीन पर भगोड़े विजय माल्या की शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट लिमिटेड कब्जा जमाए बैठी रही। मामला उछला तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी तक रिजवी से माल्या की शिकायत ना करने के फोन घुमाते रहे। तत्कालीन एसएसपी दिनेश दुबे ने तो सारी हदें ही पार कर दी थी। मुख्य सचिव तक के आदेश अखिलेश सरकार में ताक पर रख दिए गए। जब माल्या के सामने कोई चारा नहीं बचा तो उन्होंने ये संपत्ति गुपचुप सुलभ सेठ को बेच दी और देश से फरार हो गए। सेठ को वक्फ की जमीनों पर कब्जों का पहले से अनुभव था। इस मामले में आज तक ना तो मुकदमा दर्ज हुआ, ना कोई एक्शन हुआ और ना ही कोई जांच। कब्जे तब भी थे, आज भी हैं, कल भी रहेंगे अगर यही हाल रहा तो। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने यह मामला फिर से 2020 में भी उठाया है।

उनके मुताबिक विजय माल्या की कंपनी यूनाईटेड स्प्रिट लिमिटेड ने अबदुल्लापुर एरिया में वक्फ की जमीन को पहले फैक्ट्री के रूप में इस्तेमाल किया। फिर बाद में सुलभ सेठ नाम के एक बिजनेसमैन को गुपचुप तरीके से बेच दिया। उन दिनों प्रदेश में सपा की सरकार थी। यह मामला सामने आने के बाद भी पुलिस और सरकार की तरफ से आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया। अगर समय रहते मेरठ के अफसर कार्रवाई कर लेते तो माल्या को विदेश भागने का मौका ही नहीं मिलता। गौरतलब है कि इसी मामले में रिजवी पहले भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर विजय माल्या के खिलाफ शिकायत ना करने की सिफारिश का आरोप भी लगा चुके थे। ये लगाया था आरोप: 13 अक्टूबर 2019 में शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने शिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में अनियमित्ताओं की सीबीआई से जांच कराने के फैसले का स्वागत किया था, लेकिन साथ ही राहुल गांधी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने मेरठ में विजय माल्या की ओर से कब्जाई गई जमीन के एक मामले में सिफारिश के लिए उन्हें फोन किया था। आरोप था कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के मोबाइल फोन से राहुल गांधी ने बात की थी।

विजय माल्या के खिलाफ शिकायत न करने की सिफारिश की थी। नहीं की कार्रवाई: रिजवी के मुताबिक विजय माल्या ने वक्फ बोर्ड की जमीन को गलत तरीके से एसएबी मिलर्स इंडिया लिमिटेड को बेचा था। इस खेल में तत्कालीन अखिलेश सरकार और मेरठ पुलिस-प्रशासन ने उनका पूरा साथ दिया था। वसीम रिजवी ने आरोप लगाए थे कि जांच के बाद शिया वक्फ बोर्ड और डीएम, एसएसपी मेरठ से कई महीनों तक एफआईआर करवाने की गुजारिश करते रहे। लेकिन तत्कालीन एसएसपी मेरठ दिनेश चंद्र दुबे ने मुकदमा लिखने से साफ मना कर दिया था। इतना ही नहीं इस मामले में मुख्य सचिव स्तर के दखल के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 1987 में खत्म हो गया था पट्टा: रिजवी ने अगस्त 2016 में सबूतों के साथ आरोप लगाया था कि माल्या ने करीब 13 साल पहले मेरठ के खुर्रमनगर में लाला हंसराज तथा उनके परिवार के सदस्यों से कुल 10 बीघा 72 बिस्वां जमीन अपनी कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में खरीदी थी। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अभिलेखों में वह जमीन 26 अप्रैल 1918 को वक्फ कर दी गई संपत्ति के रूप में दर्ज थी। माल्या ने जो जमीन खरीदी थी, उसका लाला हंसराज के नाम अवैध रूप से 50 साल का पट्टा किया गया था, जिसकी अवधि 19 अप्रैल 1987 को खत्म हो चुकी थी।

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