हीरो-हीरोइन के सहारे राजनीति

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भारत की पार्टियों और यहां के लोगों में ऐसी क्षमता है कि वे किसी भी बात पर राजनीति कर सकते हैं। चाहे कैसी भी बात हो, उसमें राजनीति खोजी जा सकती है और की जा सकती है और उसके लिए कितने भी बड़े मुद्दे को भुलाया जा सकता है। जैसे इन दिनों भारत तेजी से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में नंबर एक देश होने की ओर बढ़ रहा है, आर्थिक विकास के मामले में सबसे नीचे गिरता जा रहा है, बेरोजगारी चरम पर है पर देश हिंदी फिल्मों के हीरो-हीरोइनों को लेकर अस्मिता की राजनीति में व्यस्त है। कोई बिहार का बेटा है, कोई बंगाल की बेटी है तो कोई हिमाचल प्रदेश की बेटी है। इस नाम पर देश की मुख्य पार्टियां राजनीति कर रही हैं और मीडिया इसे ही बढ़ावा दे रहा है।

बिहार में चुनाव होने वाले हैं तो बिहार की पार्टियों ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को मुद्दा बनाया। उन्हें बिहार का बेटा बता कर प्रचार किया गया। भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ ने एक कार्ड बनाया है, जिसमें जस्टिस फॉर सुशांत का नारा है और लिखा गया है- न भूले हैं, न भूलने देंगे। सुशांत के मामले में विलेन बना दी गई सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को अब पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल की बेटी बता कर राजनीति शुरू की है। अधीर रंजन चौधरी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी ने रिया के समर्थन में रैली भी निकाली।

उधर महाराष्ट्र में शिव सेना के भिड़ रही कंगना रनौत को हिमाचल प्रदेश की बेटी बताया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने उनको वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है। हिमाचल की बेटी के समर्थन में आए दिन प्रदेश में रैलियां हो रही हैं। केंद्र सरकार से मिले समर्थन के दम पर कंगना रोज राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती दे रही हैं। ऐतिहासिक संकट के समय में देश में यहीं सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा है।

अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि या बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत या प्रचार के लिए बिहार जाएंगी? बिहार के साथ साथ दिल्ली और मुंबई में भी यह सवाल पूछा जा रहा है। हालांकि कंगना ने खुद रविवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात के बाद कहा कि वे पॉलिटिशियन नहीं हैं और पॉलिटिस से उनका कोई नाता नहीं है। पर वह तो ज्यादातर अभिनेता- अभिनेत्री पॉलिटिशियन नहीं होते हैं पर किसी न किसी पार्टी या नेता के प्रचार में तो जाते ही रहते हैं। अब कई लोगों ने अपना राजनीतिक रूझान भी खुल कर बताया है और प्रचार भी किया है। जैसे लोकसभा चुनाव में दर्जनों अभिनेता- अभिनेत्रियों ने बिहार में कन्हैया कुमार के लिए प्रचार किया और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की मदद की।

इसलिए पॉलिटिशयन नहीं होना कोई कारण नहीं है। बिहार के रहने वाले फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को भाजपा ने चुनावी मुद्दा बना दिया है। इस मुद्दे का अधिकतम लाभ तभी मिलेगा, जब कंगना रनौत प्रचार के लिए बिहार जाएं। हालांकि बिहार में भाजपा और जनता दल यू दोनों के नेता इसे लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने जितना विवाद खड़ा कर दिया है और करणी सेना जैसे संगठनों ने उनको जिस तरह समर्थन दिया है, उसमें उनके आने से पार्टी के कुछ दूसरे प्रतिबद्ध वोट नाराज भी हो सकते हैं। तभी बिहार की पार्टी ईकाई अभी इस विचार को खारिज कर रही है।

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