सब जल्दी ही पटरी पर लौटेगा

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जब तक ब्रिटेन में कोविड का नया प्रकार सामने नहीं आया था, हम वैसीन की उम्मीद में उत्सुकतापूर्वक कोविड के गुजरने का इंतजार कर रहे थे। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि यह सिर्फ एक छोटी बाधा है और दुनिया जल्द ही उबरने के रास्ते पर होगी। आमीन! कोविड-19 ने दुनिया को अपेक्षा से कहीं ज्यादा प्रभावित किया, ऐसा प्रभाव जिसकी हमने शायद ही कभी कल्पना की हो। संपत्ति, सत्ता और ओहदे के बावजूद इसने लोगों, व्यापार, अर्थव्यवस्था और देशों पर वह असर डाला, जिससे उबरने में वत लगेगा। किसने कल्पना की होगी कि महान भारतीय रेलवे की ट्रेनें और विमानों की उड़ानें अस्थाई तौर पर बंद होंगी, सड़कें सूनी होंगी और कई छोटे और सूक्ष्म व्यापार कमजोर पड़ जाएंगे। किसने सोचा होगा कि वह अपने घर से बाहर, दूसरे शहर में फंस सकता है और हममें से अधिकतर को साल का बड़ा हिस्सा घरों में सीमित होकर बिताना पड़ेगा। बीते साल ने हमें अप्रत्याशित की आशंका और उसके परिणाम के लिए तैयार रहना सिखाया। हमने सीखा कि जिंदगी सिर्फ भौतिकवाद और ताकत हासिल करने के अलावा भी बहुत कुछ है। दुनियाभर में अर्थव्यवस्था के अनेक सेक्टर कल्पना से परे प्रभावित हुए और संभवत: ट्रैवल और टूरिज्म सेटर को सबसे ज्यादा आघात पहुंचा। लोगों के अपने घरों तक सीमित होने और हर तरह की यातायात सुविधा पर भारी असर होने से छुट्टी और व्यापार के लिए यात्रा समान रूप से बहुत कम हो गई। एक सफल वैसीन के आने के काफी बाद तक भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा लंबे समय तक प्रभावित रह सकती है।

कोविड के दौरान काफी लोग फ्लाइट बंद होने के कारण विदेशों में फंस गए थे। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में वृद्धि इस डर से उबरने पर भी काफी निर्भर होगी। तब तक देश के अंदर ही पर्यटन बढ़ेगा। पर्यटन के पैटर्न में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखा गया है। अधिकतर लोग कम समय के लिए ही देश के पर्यटन स्थलों का अनुभव करना चाहते हैं। करीब एक दशक पहले मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू किया गया पर्यटन का ‘आस-पास’ ब्रांड फिर उभर सकता है। लोग घरों से पर्यटक स्थलों तक जाने में निजी वाहन के इस्तेमाल में ज्यादा सुरक्षा महसूस करेंगे। दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों से हिमाचल और उत्तराखंड के हिल स्टेशनों के लिए लोग निकलेंगे। ऐसा ही पूरे देश में होगा। क्रॉस कंट्री पर्यटन के लिए सड़क या ट्रेन से आवागमन घट सकता है और हवाई यात्रा में बढ़ोतरी हो सकती है। कोविड के कारण काफी पैसेंजर ट्रेनों के बंद होने से रेल यात्रा के प्रति लोगों में भय का अहसास भविष्य में रेल यात्रा को प्रभावित कर सकता है। रेलयात्रियों के दिमाग में संक्रमण का डर होने के कारण वे हवाई यात्रा को प्राथमिकता देंगे, योंकि इसमें कम समय लगने के साथ ही विमानों के भीतर हेपा फिल्टर होने से यह अधिक सुरक्षित भी रहता है। शताब्दी और अन्य कम एवं मध्यम दूरी की गाडिय़ों का सफर बना रहेगा, लेकिन लंबी दूरी की ट्रेन यात्रा प्रभावित हो सकती है। विमानों और ट्रेनों, दोनों को ही कोविड सफाई प्रोटोकॉल का पालन करना नितांत आवश्यक होगा। पर्यटन स्थलों पर यात्रा तो प्रभावित रहेगी, लेकिन हिल स्टेशन टाइप का पर्यटन बढ़ेगा।

पर्यटक पर्यटन वाले इलाकों में जाएंगे, लेकिन वहां के सभी स्थल घूमें, यह जरूरी नहीं होगा। पर्यटकों की संख्या में गिरावट देखी जा सकती है। लोग नए तरह के अनुभवों के लिए यात्रा करना चाहते हैं। परंपरागत होटल की जगह लोग सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से रिसॉर्ट जैसी आवासीय सुविधा को प्राथमिकता देंगे। शहर के होटलों की तुलना में शहर के बाहर के होटलों में अधिक लोग जाएंगे। आईएटीए द्वारा कोविड पासपोर्ट की दिशा में की जा रही कोशिश प्रशंसनीय है। लेकिन यह लोगों को छुट्टी और व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने के लिए कितना प्रेरित करेगा यह देखना होगा। निजी पैसेंजर ट्रेनें शुरू होने से लोगों को आराम और अलग अनुभव का नया आयाम मिलेगा। तेज गति से किए जा रहे ढांचागत विकास की वजह से ट्रैक पर दशकों के जाम से मुति मिलेगी और कुल क्षमता भी बढ़ेगी। हवाई मोर्चे पर ‘उड़ान’ योजना ने हवाईयात्रा को पहले ही नया आयाम दे दिया है। आने वाले समय में यह और बढ़ेगी। ब्रिटेन में कोविड के नए स्ट्रेन के आने के बाद सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया व उससे पहले साल के शुरू में सरकार के प्रयासों से लोगों में भरोसा पैदा हुआ है। वैसीन के लिए सरकार के उच्चतम स्तर पर हो रही कोशिशों से उमीद पैदा हुई है कि यह कठिन समय जल्द बीत जाएगा और जिंदगी पटरी पर लौटेगी। यात्रा व पर्यटन मनुष्य की निहित प्रवृत्ति रही है और पर्यटन का विकास स्वत: तेजी से बढ़ता रहा है। यह सेटर स्वाभाविक रूप से वापसी करेगा और अन्य सेटरों की तुलना में अधिक तेजी से उबरेगा। वैसीन द्वार पर दस्तक दे रही है, लगता है अच्छे समय की वापसी होने वाली है।

अश्वनी लोहानी
(लेखक पूर्व सीएमडी, एयर इंडिया, पूर्व चेयरमैन, रेलवे बोर्ड, पूर्व सीएमडी, आईटीडीसी हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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