श्रीलंका में बुर्काबंदी मुस्लिमों में डर

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श्रीलंका की सरकार ने बुर्के पर पाबंदी लगा दी है। उसने अपने हुक्मनामे में बुर्का या नकाब शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है लेकिन मुंह को ढकने या अपनी पहचान-छुपाने पर सख्त पाबंदी की घोषणा कर दी है, क्योंकि उसका मानना है कि बुर्का आतंकवादियों का कवच बन गया है। मर्द लोग बुर्का पहनकर और उस पर नकाब लगाकर बिल्कुल सीधी-सादी महिला का रुप धारण करते हैं और बम लगा देते हैं। श्रीलंका की गैर-राजनीतिक मुस्लिम संस्थाओं ने इस सरकारी घोषणा का स्वागत किया है और श्रीलंका के मुसलमानों से अपील की है कि वह इस आदेश पर अमल करें लेकिन ‘श्रीलंका मुस्लिम कांग्रेस’ इस मुद्दे पर चुप्पी लगाए हुए हैं। पूर्वी श्रीलंका में यह पार्टी प्रभावशाली है लेकिन कुछ नेताओं का दो आतंकवादियों के मालदार परिजनों से नजदीकी संबंध भी बताया जाता है। ये नेता अभी तक श्रीलंका के मुस्लिम इलाके में एक बार भी नहीं गए हैं।

श्रीलंका के मुसलमान इस वक्त बहुत डरे हुए हैं। हालांकि इस्लामी आतंकियों ने गिरजाघरों पर हमला किया है लेकिन मुसलमानों को ईसाइयों से उतना डर नहीं है, जितना श्रीलंका के बौद्धों से है। बौद्धों ने जैसे तमिलों को उनकी हिंसा के बाद कड़ा सबक सिखाया था, वैसा ही अब मुसलमानों को सिखाएंगे, ऐसा डर पूरे श्रीलंका में फैल गया है। मुसलमानों को अब ‘नए तमिल’ बन जाने का डर सता रहा है।

आतंकवादियों की धरपकड़ के साथ-साथ उनकी हत्या के समाचार भी रोज ही आ रहे हैं। अभी सरकार ने सिर्फ बुर्के पर रोक लगाई है लेकिन अगर सांप्रदायिक दंगे फूट पड़े तो नमाज़, दाढ़ी और टोपी पर भी गाज गिर सकती है। वैसे यह सबको पता है कि नकाबवाले बुर्के पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया- जैसे मुस्लिम देशों में भी रोक है। जब से यूरोप में आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क और आस्ट्रिया में नकाब पर रोक लग गई है। जर्मनी, स्पेन और कनाडा के क्यूबेक प्रांत में भी बुर्के पर तरह-तरह के प्रतिबंध हैं। श्रीलंका में बुर्के पर भी राजनीति हो रही है। राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेन बुर्के पर प्रतिबंध लगा रहे हैं जबकि प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघ इसे स्वेच्छापूर्वक छोड़ने की बात कर रहे हैं। डर यही है कि पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रही ईसाई-मुस्लिम मुठभेड़ कहीं श्रीलंका के मुसलमानों के गले न पड़ जाए। श्रीलंका के मुसलमान प्रायः संपन्न, व्यवसायी और मध्यमवर्गीय हैं। इस ईस्टर हत्याकांड के बाद उन 10 प्रतिशत श्रीलंकाई मुसलमानों का जीना अब दूभर होने की आशंका बढ़ गई है।

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं

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