वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत से होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि
दूर्वा व मोदक से होती है श्रीगणपति की विशेष पूजा
सनातन धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं में भगवान श्रीगणेस जी को प्रथम पूज्यदेव माना जाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार सर्वविघ्नविनाशक अन्तगुण विभूषित बुद्धिप्रदायक सुखदाता मंगलमूर्ति भगवान श्रीगणेशजी की महिमा अनन्त है। श्रीगणेशजी की श्रद्धा, आस्था, विश्वास के साथ की गई पूजा-अर्चना से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बनता है। श्रीगणेश चतुर्थी तिथि के दिन की गई पूजा विशेष लाभकारी होती है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाने वाला वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत इस बार 29 दिसम्बर, रविवार को रखा जाएगा। पौष शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 29 दिसम्बर, रविवार को दिन में 12 बजकर 16 मिनट तक ललेगी जो कि अगले दिन 30 दिसम्बर, सोमवार को दिन में 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। मध्याह्र व्यापिनी चतुर्थी तिथि का मान 29 दिसम्बर, रविवार को है, जिसके फलस्वरूप वरद् वैनायकी चतुर्थी व्रत इसी दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रीगणेश भक्त व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेशजी की विधि-विधानपूर्वक व्रत-उपवास रखकर श्रीगणेश जी की पूजा-अराधना करके लाभान्वित होंगे।
कैसे करें श्रीगणेशजी को प्रसन्न – ज्योतिषिद् श्री विमल जैन जी बताया कि व्रतकर्ता को प्रातःकाल अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत होने के उपरान्त अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके वैनायक श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्रीगणेश का श्रृंगार करके उन्हें दूर्वा की माला, मोदक (लड्डू) अन्य मिष्ठान ऋतुफल अदि अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप-नैवेद्य के साथ की गई पूजा शीघ्र फलित होती है।
किस पाठ से होंगे मनोरथ पूरे – श्रीगणेश जी की महिमा में उनकी विशेष अनुकम्पा प्राप्ति के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश चालीसा, श्रीगणेश सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेश जी सम्बन्धित विभिन्न मंत्रों का जप करना लाभकारी रहता है। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थियों के लिए समानरूप से फलदायी है। जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा चल रही हो, उन्हें वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखकर श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए। वरद् वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से जीवन में सुख-सौभाग्य के साथ अलौकिक शान्ति व खुशहाली बनी रहती है।