कर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित शंधाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऊर्जा के क्षेत्र में वैकल्पिक स्रोतों के संबंध में संगठन के सदस्य देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की जरूरत पर बल दिया है। पर्यावरण को लेकर भी बात हुई। पर इस सबके बीच आतंक वाद को समूची मानवता के लिए प्रधानमंत्री ने खतरा बताते हुए साफ नीयत से मिलजुल कर निपटने को पहली जरूरत भी बताया। परोक्ष रूप से पाकिस्तान को नसीहत भी दी कि वाकई भारत से मधुर रिश्ते की दरकार है तो आतंकी आकाओं को प्रश्रय देने की नीति से तौबा करना होगा। एक तरह से भारत ने इस शिखर सम्मेलन में भी स्पष्ट कर दिया है कि आतंक वाद और बातचीत एक साथ संभव नहीं है। गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ सीधी बातचीत में भी प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान से तभी बातचीत होगी जब वो आतंक वाद के मोर्चे पर कुछ ठोस कार्रवाई करता दिखाई देगा।
पाक पीएम इमरान खान को शायद यह उम्मीद रही होगी कि चीन के कहने पर भारत से बातचीत फिर से शुरू हो सकती है और इस तरह अन्तरराष्ट्रीय जगत में उसकी बदरंग छवि में सुधार आ सकता है। यही वजह थी कि पीएम मोदी के लिए पाक अपना एयर रूट खोलने पर भी राजी हो गया था, लेकिन आखिरी समय में मोदी ने बिश्केक पहुंचने के लिए ओमान का रास्ता चुना। सम्मेलन में जहां मोदी ने रूस और चीन समेत दूसरे मध्य एशिया के देशों के प्रतिनिधियों को तरजीह दी, वहीं पाक पीएम इमरान खान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया। ऊर्जा के मामले में सोबियत संघ से अलग हुए देशों में भारत की रूचि इसलिए भी स्वाभाविक है कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद ऊर्जा की अलग से भरपाई आवश्यक है। बेशक इसी के साथ वैकल्पिक माध्यमों पर भी मिलजुलकर काम करने की जरूरत है।
इसमें दो राय नहीं शंघाई सहयोग संगठन में शामिल देशों की दुनिया की जीडीपी में हिस्सेदारी 42 फीसदी है। इस लिहाज से इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। इसके अलावा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने से जिस कदर ट्रेड वार छिड़ा है, उससे निपटने के लिए या कहे उसे संतुलित करने के लिए एससीओ की बहुत जरूरत है। संतुलित विकास के लिए जरूरी है कि व्यवस्था बहुध्रुवीय हो वरना अधिनायक वाद पैदा होने का खतरा रहता है। इस लिहाज से भी एससीओ में भारत की मौजूदगी ने शिखर सम्मेलन में आतंक वाद का मसला पुरजोर ढंग से उठाकर अपनी मंशा साफ कर दी है। इससे पहले मालदीप में भी मोदी ने आतंक वाद पर कुछ देशों के रवैये पर सवाल उठाया था। अन्य फोरमो पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीति भारत की तरफ से कारगर रही है। यह आगे भी जारी रहेगी, इसका सबूत है एससीओ में भी भारत की तरफ से आतंक वाद के खिलाफ जताई गई प्रतिबद्धता।