जांबाज विंग कमांडर अभिनन्दन शुक्रवार को बाघा बार्डर के रास्ते भारत को सौंपा गया। निश्चित तौर पर भारतीय राजनय की बड़ी कामयाबी कही जाएगी। पाकिस्तान जैसा मुल्क जिसकी किसी भी बात का भरोसा नहीं किया जा सकता। जो कहता कुछ और करता कुछ है। अतीत में भी गिरफ्त में आए भारतीय फौजियों के साथ उसका जो कायराना सुलूक रहा है। उसे भला भारत कैसे भूल सकता है। यह पहला मौका है जब दो दिन के भीतर पाकिस्तान किसी भारतीय सेना अफसर को छोड़ रहा है। हालांकि पाकिस्तान की संसद में प्रधानमंत्री किसी भारतीय सेना अफसर को छोड़ रहा है। हालांकि पाकिस्तान की संसद में प्रधानमंत्री इमरान खान को अभिनन्दन को छोड़े जाने का ऐलान करना पड़ा। दरअसल पाकिस्तान को यह उम्मीद नहीं थी कि पुलवामा हमले के बाद भारत की तरफ से उसके घर में घुसकर हमला होगा। उसे बस इतनी उम्मीद थी कि पाक अधिकृत कश्मीर तक भारतीय सेना अपनी कार्रवाई कर सकती है पर हुआ उलटा।
सीधे पाकिस्तान स्थिति बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने को भारत ने एयर स्ट्राइक के जरिये नेस्तानाबूद कर दिया। इस बात की खुद जैश सरगना मसूद अजहर ने भी तस्दीक की है कि उसके ठिकाने को नुकसान पहुंचा है। इससे पाकिस्तान के असली चेहरे को भारत दुनिया के सामने लाने में कामयाब रहा है। यही वजह है कि सऊदी अरब और चीन जैसे करीबी दोस्त भी पाकिस्तान के साथ खड़े नहीं दिखाई दे रहे हैं। भारत लगातार कहता रहा है कि पाकिस्तान की सरपस्ती में पल रहे आतंकवाद की वजह से उसे काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कश्मीर में चल रहे छाया युद्ध के पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है। अतंरराष्ट्रीय मोर्चों पर आतंकवाद के खिलाफ भारत के मुखर होने का यह परिणाम रहा कि पाकिस्तान के साथ खड़े होने का यह परिणाम रहा कि पाकिस्तान के साथ खड़े होने के उसके अपने खेमे के देश ही अब कतरा रहे है। शुक्रवार को अबूधाबी में ओआईसी इस्लामिक क्षेत्रों के संगठन को काफ्रेंस थी जिसमें भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अतिथि के तौर पर आमंत्रित थीं, जबकि पाकिस्तान इसकी मुखालफत कर रहा था पर भारत की विशेष मौजूदगी से झल्लाया पाकिस्तान ओआईसी की बैठक में शामिल ही नहीं हुआ।
वैसे उसे जिस बात का डर था, उसे ही सुषमा स्वराज ने सम्मेलन में बड़ी सिद्दत से उठाया और कहा कि आतंकवाद वैश्विक समस्या है और वे देश जो ऐसी मानव विरोधी तंजीमों को आर्थिक प्रश्नय देते हैं और अपनी जमीन उपलब्ध कराते है। उनको चिन्हित किए जाने की आवश्यकता है। जाहिर है पाकिस्तान में चल रही आतंक की फैक्ट्री की तरफ इशारा था। बहरहाल, बदली परिस्थितियों में भारत दुनिया भर को यह समझने में कामयाब रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ सभी को मिल-जुलकर खड़ा होना होगा। यह बात सऊदी जैसे देश भी समझने लगे हैं। भले ही पाकिस्तान की उन्हें चिंता है, लेकिन भारत में अपने लिए बड़े अवसर की उम्मीद भी है। इस्लामिक देशों के बदलते नजरिए की ही बानगी है कि सऊदी अरब, इजरायल से दोस्ती का हाथ बढ़ रहा है। वक्त आ गया है कि धर्म की आड़ में आतंकवाद का खेल बंद हो और इसी मुहिम को श्रेयता देते हुए बीते साढ़े चार सालों में मोदी सरकार सार्क, जी-8, जी-20 और ब्रिक्स के सम्मेलनों में आतंकवाद के खिलाफ पुराने ढंग से अपनी बात उठाती रही है। बरसों के कूटनीतिक प्रयासों का नतीता है कि पाकिस्तान अपने दांव-पेंच चाहते हुए भी नहीं आजमा पा रहा है और अब तो अमेरिका, फ्रांस जैसे मुल्कों ने यूएनओ में मजूद अजहर प्रतिबंध लगाये जाने का प्रस्ताव किया है।