पीएम की नयी पहल

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने फैसलों से चौंकाने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं। खासतौर पर नोटबंदी की अचानक हुई घोषणा से पूरा देश स्तध रह गया था। इसीलिए बीते सोमवार जब उन्होंने ट्वीट किया कि वह अपना सोशल मीडिया एकाउंट छोडऩे का मन बना रहे हैं तो उनके प्रशंसकों के साथ ही विरोधियों ने भी हैरानी जताई। चैनलों पर तो यह प्राइम टाइम का विषय बन गया लेकिन इसके ठीक एक दिन बाद उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट से कयासों को विराम दे दिया। पता चला कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पीएम अपने सोशल मीडिया एकाउंट को प्रेरणा देने वाली महिलाओं को समर्पित करने का इरादा रखते हैं। निश्चित तौर पर यह अपने तरह की अनोखी पहल कही जा सकती है कि किसी देश के पीएम ने नारी सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित करने अब से पहले इस तरह का कदम उठाया हो। यह सही है कि देश में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में उनके आर्थिक स्वावलबन के बाद भी अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ है।

राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े इस हकीकत को बयान करते हैं। पर यह भी सच है कि केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकारेंए सबने अपनी कल्याणकारी योजनाओं में महिलाओं का विशेष रूप से ध्यान रखा है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं रह गया है बल्कि इसका हरियाणा जैसे राज्य में सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिया है। लिंगानुपात ठीक हुआ है। हालांकि इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है। यह भी एक तथ्य है कि बेटियों को लेकर पूर्वाग्रहों में परिवर्तन हो रहा है। शिक्षा, खेल और राजनीति सभी जगहों पर बेटियां अपनी प्रतिभा से घर, समाज और देश का नाम ऊंचा कर रही हैं। पितृ सत्तात्मक समाज की ग्रंथियां धीरे-धीरे ही सही खुल रही हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि अगले दशक तक आधी आबादी की भूमिका धरातल पर अभी बहुत कुछ बदला जाना बाकी है। किसी भी समाज में धारणाएं जैसे तत्काल नहीं बनतीं वैसे जाती भी नहीं। इसलिए उम्मीद के साथ ही महिलाओं की बदलती भूमिका को देखने-समझने की जरूरत है। पीएम की फैन फालोइंग करोड़ों में है, जाहिर है एक दिन महिलाओं को समर्पित किये जाने से उन्हें भी अपनी बात दुनिया के सामने लाने का अवसर मिलेगा, जो जिस अचीन्हे पृष्ठभूमि में रहते हुए भी समाज के लिहाज से प्रेरक का काम कर रही हैं।

इस तरह उनकी भूमिका को एक दिन के लिए ही सही एक बड़ा कैनवस मिलेगा। इस दृष्टि से पीएम की पहल महत्वणूर्ण कही जा सकती है। राष्ट्रीय पुरस्कारों के संबंध में भी मोदी ने एक महत्वपूर्ण पहल की थी। लोग खुद अपना नामांकन पूरे विवरण के साथ करें। इससे देश में अचिन्हित लेकिन समाज में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे लोगों को भी समान मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। तो पीएम इस तरह कुछ ना कुछ जरूर ऐसी कोशिश करते दिखाई देते हैं, जो दृष्टि में नयी लगे। परिणाम के लिहाज से तो वक्त लगता है। जहां तक उनके ट्वीट का कोई सियासी पहलू भी हो सकता है, जैसा विरोधी कह रहे हैं तो भी पहल को एक सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। मोदी देश के भीतर शायद ऐसे पहले राजनेता हैं, जिसने सोशल मीडिया की ताकत को पहले पहचान लिया और स्वाभाविक है, इसका उन्हें फायदा भी मिला। लोगों से सीधे जुडऩे में भी उन्हें सहूलियत हुई। अब बाकी लोग भी उसी नक्शे कदम पर अगे बढ़ रहे हैं।

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