पाकिस्तान की नई चाल

0
264

अंतर्राष्ट्रीय मोर्चो पर असफल होने के बाद पाकिस्तान अपनी ओछी हरकत पर उतर आया है। कश्मीर में स्कूली बच्चो को भी अपनी फायरिंग रेंज में लेने से बाज नहीं आ रहा। आये दिन अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर उसकी तरफ से उल्लंघन आम बात है। पर अब तो घाटी के हालात को खराब बताने की गरज से गजनवी मिसाइल का गुरुवार को परीक्षण करने से भी बाज नहीं आया। यह परिदृश्य दोनों मुल्को के सामाजिक और आर्थिक हालात के लिए चिंताजनक ही कहा जा सकता है। विदेश मंत्रालय ने श्मीर पर पाकिस्तान की तरफ से आ रहे भडक़ाऊ और गैरजिम्मेदार बयानों की निंदा करते हुए उसे भारत के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी ना करने की नसीहत दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान का मकसद माहौल खराब करना है।

वह मनगढ़ंत और तथ्यों से परे बातों के जरिए ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है कि दुनिया को लगे कि हालत बहुत नाजुक है। एशियाई क्षेत्र में परमाणु युद्ध का उन्माद फैला रहे इस्लामाबाद ने ऐटमी हथियार ले जाने में सक्षम गजनवी (हत्फ -3) मिसाइल का परीक्षण किया है। गजनवी मिसाइल चीन की एम-11 मिसाइल का पाकिस्तानी संस्करण है, जो 290 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक मुस्लिम आक्रांता महमूद गजनवी के नाम पर रखी गई इस मिसाइल के परीक्षण के जरिए पाकिस्तान ने एक तीर से कई शिकार करने की कोशिश की है। इसे पहले से ही तंगहाल स्थिति में गुजर रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से देशवासियों के ध्यान हटाने की कोशिश माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस्लामाबाद मिसाइल परीक्षण और युद्ध उन्माद भड़ाकाकर आतंक के मुद्दे से दुनिया का ध्यान भटकाना चाहता है।

पाकिस्तानी मिसाइलों का जवाब देने के लिए भारत ने छोटी दूरी से लेकर लंबी दूरी तक की कई मिसाइलें बनाई हैं। इनमें सबसे प्रमुख है पृथ्वी, ब्रह्मोस और अग्नि मिसाइल। पृथ्वी-1को फरवरी 1988 में लॉन्च क या गया था। यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है। यह पहली मिसाइल थी जिसे भारत सरकार के आईजीएमडीपी के तहत विकसित किया गया। इसकी रेंज 150 कि लोमीटर है यानी यह 150 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता रखती है। यह मिसाइल 1000 कि लोग्राम वजन तक के वॉरहेड, बम या अन्य चीजों को अपने साथ ले जा सकती है। 1994 में इसे भारतीय थलसेना में शामिल किया गया। भारत ने पृथ्वी-2 मिसाइल भी बनाई जो परमाणु हथियारों के साथ 350 किमी तक मार सकती है।

यहां सवाल यह नहीं है कि किस मुल्क के पास कितनी सामरिक ताकत है ,सवाल यह है कि इस युद्ध से लाभ किसे होगा ,निश्चित तौर पर किसी को नहीं होगा। हाँ ,पाकिस्तान का मौजूदा निजाम जरूर इस तरह अपनी नाकामियों पर पर्दा डाल सकता हैं जहां तक अपने मुल्क की बात है तो यहां सदैव से सहयोग और भरोसे का रवैया रहा है। यही वजह रही पहले भी कई अवसर आये जब पीओके ही नहीं लाहौर तक को अपना हिस्सा बना सकते थे लेकिन इतिहास साक्षी है कि भारत ने जीती हुई जमीनें भी पाकिस्तान को लौटा दी थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here