भारत में कोविड-19 महामारी की जो परिस्थिति है, अगर उस पर महामारी विज्ञान की नज़र से देखें, तो दूसरी ‘राष्ट्रीय लहर’ खत्म मान सकते हैं। इस निष्कर्ष पर आने के कई आधार हैं। जैसे, नए मामलों का साप्ताहिक रोलिंग औसत 35,000 पर स्थिर हो गया है। फिर, परीक्षण सकारात्मकता दर (टीपीआर) लगभग 2% के नीचे चल रही है। आर-फैक्टर कई सप्ताह से एक के नीचे बना रहा है।
चौथे राष्ट्रव्यापी सीरो-सर्वेक्षण में पाया गया कि दो-तिहाई भारतीय आबादी में एंटीबॉडी थे और तब से 3 महीने और हो चुके हैं, प्राकृतिक संक्रमणों के साथ करोड़ों टीके लग गए हैं। अनुमान है कि 80% से ज्यादा भारतीय आबादी को सुरक्षा प्राप्त हो चुकी है। याद रखना होगा, दूसरी ‘राष्ट्रीय लहर’ को खत्म मान सकते हैं, लेकिन देश-विश्व अभी भी महामारी के दौर में है।
सवाल उठ सकता है कि यदि दूसरी लहर खत्म हो गई है, तो प्रतिदिन आ रहे कोविड-19 के नए मामले क्या दर्शाते हैं? भारत भर में करीब 70 जिले ऐसे हैं जहां 5% या उससे अधिक टीपीआर है और अधिकतर ऐसे ज़िले केरल, महाराष्ट्र और कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे मणिपुर में हैं और फिलहाल आ रहे नए मरीज़, स्थानीय (राज्य और जिला स्तर) कोविड-19 लहरों को दर्शाते हैं।
साथ ही, भारत में तीसरी लहर राष्ट्रीय स्तर पर आने की आशंका कम है, लेकिन उप-राष्ट्रीय लहरें आती रहेंगी और कोई भी आगामी लहर अप्रैल-मई में आई दूसरी लहर की तुलना में छोटी होगी। यही समय है कि स्वास्थ्य नीति निर्माता और विशेषज्ञ भारत में कोविड-19 महामारी से निबटने के लिए अब उप-राष्ट्रीय दृष्टिकोण से सोचें और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं पर भी ध्यान दें।
पहली बात, कोविड-19 के संदर्भ में अगले तीन महीने बहुत महत्वपूर्ण होंगे, जब त्योहारों और छुट्टियों का समय होगा, लोग खरीदारी और सामाजिक कार्यों जैसी गतिविधियों में भाग लेना चाहेंगे। दुनियाभर से सबूत हैं, कि भीड़ चाहे छोटी हो या बड़ी, उसके बाद कोविड फैलने लगता है। इसलिए, भले ही नए मामले कम हो गए हैं, हर व्यक्ति को आने वाले महीनों में विशेष रूप से कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता है।
दूसरी, महामारी के इस चरण में कोरोना का संक्रमण नहीं, बल्कि संक्रमण का परिणाम क्या होता है, इस आधार पर निर्णय लेने होंगे। कोविड-19 वयस्कों के लिए गंभीर बीमारी है और सौभाग्य से, बच्चों में संक्रमण गंभीर बीमारी में नहीं बदलता। बच्चों को पहले भी कम खतरा था और आने वाली किसी भी लहर में अतिरिक्त खतरा नहीं है।
तीसरा, देशभर में मौसमी बुखार व सांस की बीमारियों के मामले आ रहे हैं। कई राज्यों में डेंगू-मलेरिया फैल रहा है। राज्य सरकारों को तुरंत जरूरी कदम उठाने चाहिए। महामारी चल रही है लेकिन हम अन्य स्वास्थ्य चुनौतियों को भी नज़रअंदाज नहीं कर सकते। निवारक और स्वास्थ्य संवर्धन सेवाओं को तेज करने की आवश्यकता है।
चौथा, अब सभी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं को फिर से पूरी तरह से सुचारु करने की जरूरत है। जैसे मधुमेह और उच्च रक्तचाप और अन्य पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग अपने इलाज की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बच्चों के नियमित टीकाकरण में भी कमी आई है। ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ करने का समय है। पोस्ट कोविड व मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के हर स्तर पर प्रावधान की जरूरत है।
कोविड-19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन बीमारी के बारे में एक बेहतर समझ विकसित हुई है, जिसका इस्तेमाल करते हुए, अपने डर को कम करते हुए, बचाव के कदम उठाते रहने के साथ, समय है बच्चों को स्कूलों में भेजा जााए और स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ की जाएं। साथ ही, सरकारों को महामारी की स्थानीय और उप-राष्ट्रीय लहरों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
डा. चन्द्रकांत लहारिया
(लेखक जन नीति और स्वास्थ्य तंत्र विशेषज्ञ हैं ये उनके निजी विचार हैं)