डॉ. कफील खान : फिजूल गिरफ्तारी

0
218

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायाधीश सौमित्रदयाल सिंह को दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने डॉ. कफील खान के मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। सात महिने से जेल में पड़े डॉ. खान को उन्होंने तत्काल रिहा करने का आदेश दे दिया। डॉ. खान को इसलिए गिरफ्तार किया गया था कि उन्होंने 12 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम वि.वि. के गेट पर एक ‘उत्तेजक’ भाषण दे दिया था। उन पर आरोप यह था कि उन्होंने शाहीन बाग, दिल्ली में चल रहे नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन का समर्थन करते हुए नफरत और हिंसा फैलाने का अपराध किया है। उन्हें पहले 19 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया गया और जब उन्होंने जमानत पर छूटने की कोशिश की तो उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत फिर से जेल में डाल दिया गया। यदि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इन दो जजों का यह साहसिक फैसला अभी नहीं आता तो पता नहीं कितने वर्षों तक डॉ. कफील खान जेल में सड़ते रहते, क्योंकि रासुका के तहत दो बार उनकी नजरबंदी को बढ़ा दिया गया था।

दोनों जजों ने डॉ. खान के भाषण की ‘रिकार्डिंग’ को ध्यान से सुना और उन्होंने पाया कि वे तो हिंसा के बिल्कुल खिलाफ बोल रहे थे और राष्ट्रीय एकता की अपील कर रहे थे। यह ठीक है कि भारत सरकार द्वारा पड़ौसी देशों के शरणार्थियों को शरण देने के कानून में भेदभाव का वे उग्र विरोध कर रहे थे लेकिन उनका विरोध देश की शांति और एकता के लिए किसी भी प्रकार से खतरनाक नहीं था। जिला-जज और प्रांतीय सरकार ने डॉ. खान के भाषण को ध्यान से नहीं सुना और उसका मनमाना अर्थ लगा लिया। अपनी मनमानी के आधार पर किसी को भी नजरबंद करना और उसको जमानत नहीं देना गैर-कानूनी है। यह ठीक है कि डॉ. खान के भाषण के कुछ वाक्यों को अलग करके आप सुनेंगे तो वे आपको एतराज के लायक लग सकते हैं लेकिन कोई भी कानूनी कदम उठाते समय आपको पूरे भाषण और उसकी भावना को ध्यान में रखना जरुरी है। इलाहाबाद न्यायालय का यह फैसला उन सब लोगों की मदद करेगा, जिन्हें देशद्रोह के फर्जी आरोप लगाकर जेलों में सड़ाया जाता है। इस फैसले से न्यायापालिका की प्रतिष्ठा भी बढ़ती है और यह आरोप भी गलत सिद्ध होता है कि सरकार ने न्यायपालिका को अपना जी-हुजूर बना लिया है।

डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here