दिल्ली और एनसीआर में बेरोजगारों को ठगने वाले ये तमाम गैंग अब दिल्ली साइबर क्राइम यूनिट के निशाने पर हैं। नोएडा में सोमवार को फर्जी जॉब प्लेसमेंट सेंटर पर रेड के बाद वहां से पकड़े गए मोदीनगर, मुजफ्फरनगर व गाजियाबाद के जालसाजों ने जो राज खोले हैं, उन्हें दिल्ली पुलिस बेहद गंभीर बता रही है। पुलिस उपायुक्त अनेश रॉय के मुताबिक पूछताछ में उन्होंने फील्ड में तमाम उन साथियों के नाम बताए हैं जो इस धंधे में उनके साथ संलिप्त थे। हैरानी की बात यही है कि इनमें से ज्यादातर युवक मोदीनगर व गाजियाबाद के हैं। सरगना कुणाल सिंह मुजफ्फरनगर का है जो पहले पुणे में भी इस तरह के धंधे में 2016 में गिरफ्तार हो चुका है। मेरठ पुलिस से भी मदद मांगी गई है ताकि बाजार, वित्तीय, शैक्षणिक संस्थानों में नौकरी दिलाने के नाम पर हो रही इस ठगी को रोका जा सके।
श्री रॉय के मुताबिक नोएडा के सेक्टर 8 में चल रही इस प्लेसमेंट कंपनी से गिरफ्तार कुणाल सिंह के अलावा गौरव गुप्ता, विशाल तंवर उर्फ सन्नी, शुभम और शशांक शेखर ने पूछताछ में कई खास जानकारियां दी हैं। जिनके आधार पर पुलिस जल्दी ही कुछ और युवकों को उठाने की तैयारी कर रही है। आरोपितों के पास से 10 हजार बेरोजगार युवाओं के बायोडाटा मिला। आरोपी जिस परिसर में अपना कॉल सेंटर चलाते थे, उसी परिसर में आरोपी एक यूट्यूब न्यूज चैनल आई स्टार 24 भी चलाता था। यह सब फर्जीवाड़े पर पर्दा डालने के लिए किया जा रहा था। आरोपित कुणाल ने बताया कि आई स्टार 24 नामक से चैनल खोला हुआ था। गिरोह ने खुलासा किया है कि अखबारों में विज्ञापन देने वाली 80 प्रतिशत प्लेसमेंट कंपनियां फर्जी होती हैं। और नेट पर जो नौकरी देने के विज्ञापन दिए जाते हैं वो भी 99 फीसद फर्जी होते हैं। वित्तीय संस्थानों में सेल्समैन या कंप्यूटर आपरेटर की नौकरी देने या दिलाने के नाम पर ये लोग बेरोजगारों से पांच हजार रुपए तक आसानी से ठग लेते हैं। श्री राय के मुताबिक उन लोगों या संस्थाओं की भी जांच होगी जो नेट पर किसी वेबसाइट के सहारे नौकरी के विज्ञापन देते हैं।
ऐसे खेलते हैं खेल : पुलिस के मुताबिक ये लोग पहले स्थानीय अखबारों में विज्ञापन छपवाते हैं या फिर दीवारों पर पोस्टर लगाकर बेरोजगार लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। उनके पास जब कोई नौकरी मांगने जाता है तो रजिस्ट्रेशन मनी, सिक्योरिटी मनी और ट्रांसफर मनी के नाम पर दो से तीन हजार पए ठग लेते हैं।
मेरठ का जावेद भी था सरगना : पिछले ही साल पुलिस ने नौकरी व सस्ते लोन का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया था और नौ लोगों को पकड़ा था। इस गिरोह का नेटवर्क यूपी, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और बिहार समेत 9 राज्यों में था। पुलिस ने मोहम्मद जावेद, रविंदर, सोहनवीर, विपिन कुमार, अनित, फरमान, जौली, मोहम्मद तजामूर उर्फ कासिम और आकाश को गिरफ्तार किया था। जांच से पता चला कि बेरोजगार युवाओं को ठगने वाले इस गिरोह का सरगना मेरठ निवासी मोहम्मद जावेद था। पहले उसने मेरठ में धंधा शुरू किया था, लेकिन वहां पर पुलिस की रेड के बाद ठिकाना बदल कर नोएडा आ गया था।
गाजियाबाद, दिल्ली को बना रखा है ठिकाना : बेरोजगारों को ठगने वालों ने दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद को ठिकाना बना रखा है। यहां पर प्लेसमेंट कंपनी के नाम पर भी गोरखधंधा हो रहा है और साथ ही कुछ शातिर कि स्म के लोगों ने घर से ही ये धंधा फै ला रखा है। इसी साल मई में पुलिस ने राजनगर में इस धंधे का खुलासा किया था। कनाडा में नौकरी देने के नाम पर 100 से ज्यादा लोगों से डेढ़-डेढ़ लाख वसूले गए और इसके बाद वो फरार हो गए। गाजियाबाद जिले की पुलिस ने मई 2017 में भी ठगों के एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया था जो बेरोजगार लोगों को नौकरी देने का झांसा देकर उनसे ठगी करता था। पुलिस ने गाजियाबाद और नोएडा से 10 लोगों को गिरफ्तार किया था जो फर्जी प्लेसमेंट कंपनियां चलाया करते थे। इस गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि आस-पास के कई प्रदेशों में फैला हुआ है था।
अजय कोल्ला ने तो की थी 70 करोड़ की ठगी : दो साल पहले विजडम जॉब्स के सीईओ अजय कोल्ला को उसके 13 कर्मचारियों के साथ गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने भारत व विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 1.04 लाख युवाओं से 70 करोड़ की ठगी की थी।