भारत की केंद्रीय सरकार और प्रांतीय सरकारें जिस मुस्तैदी से कोरोना-युद्ध लड़ रही हैं, वह हमारे सारे दक्षिण एशिया के राष्ट्रों के लिए अनुकरणीय है। मुझे खुशी है कि अब हमारे सरकारी टीवी चैनलों ने शरीर की प्रतिरोधशक्ति बढ़ाने वाले घरेलू नुस्खों का प्रचार भी शुरु कर दिया है। मेरे पारिवारिक सदस्यों और मुझे फोन करनेवाले सभी मित्रों से मैं कह रहा हूं कि आप काढ़ा बनाइए। उसमें अदरक, नींबू, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, काली मिर्ची, गिलोय, नीम, जीरा शहद आदि डालकर खूब उबालिए। फिर घर के सभी सदस्यों और नौकरों-चाकरों को आधा-आधा कप पिला दीजिए। यह काढ़ा किसी भी संक्रामक जीवाणु से लडऩे में आपकी मदद करेगा। वह कोरोना हो या उसका बाप हो।
इससे आपको किसी भी प्रकार की हानि तो हो ही नहीं सकती। इसी आधार पर मेरा अंदाज है कि भारत में कोरोना उसी तरह नहीं फैल सकता, जैसा कि वह इटली, फ्रांस, अमेरिका और स्पेन में फैला है। इन देशों में पिछले पचास साल में कई बार जाकर मैं रहा हूं। इन देशों के खाने में हमारे मसालों का उपयोग नहीं के बराबर होता है। हमारे मसाले ही हमारी औषधि हैं। हमारे गांवों के गरीब और आदिवासी भी इन मसालों से भली-भांति परिचित हैं। इन्हें घरेलू नुस्खे कहा जाता है। मुझे खुशी है कि केरल से कश्मीर तक सारी सरकारें बाहरी मजदूरों के खाने और रहने के इंतजाम में पूरी तरह जुटी हुई हैं।
मैनें तालाबंदी के वत ही कहा था कि सिर्फ तीन दिन के लिए इन लगभग पांच करोड़ प्रवासी मजदूरों को रेलों और बसों की सुविधा दे दी जाए। कुछ मुयमंत्रियों ने इस सुझाव पर अमल भी किया था लेकिन ये लोग पुलिस के डर के मारे शहरों में ही टिके रहे। पता नहीं, अब या होगा ? कब तक? सरकार ने यह बड़ा जुआ खेला था नतीजे सामने हैं। हां केंद्र सरकार ने यह अच्छी घोषणा कर दी कि यह तालाबंदी तीन महीनें के लिए नहीं है। इसी डर के मारे लोग अपने गांवों की तरफ भाग रहे थे और सर्वत्र जमाखोरी शुरु हो गई थी। यदि हमें कोरोना को हराना है तो लोगों के दिल से डर को पहले हटाना है।
डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)