सार गीता का सार By admin - January 25, 2020 0 526 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp मनुष्य के शरीर को महज एक कपड़े का टुकड़ा बताया है अर्थात एक ऐसा कपड़ा जिसे आत्मा हर जन्म में बदलती है अर्थात मानव शरीर, आत्मा का अस्थाई वस्त्र है, जिसे हर जन्म में बदला जाता है इसका आशय यह है कि हमें शरीर से नहीं उसकी आत्मा से उसकी पहचान करनी चाहिए।