भारत ने एक उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्र अंतरिक्ष में छोड़ा, यह उसके लिए बड़ी उपलब्धि है। ऐसी क्षमता वाला वह दुनिया का चौथा राष्ट्र बन गया है। उसके पहले अमेरिका, रुस और चीन के पास ही यह क्षमता थी। यह अलग बात है कि इन राष्ट्रों की यह क्षमता भारत से बहुत ज्यादा है। इनके सामने भारत की उपग्रहभेदी क्षमता शिशुतुल्य है लेकिन अब भारत अंतरिक्ष-विद्या में ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और फ्रांस से भी आगे निकल गया है। हालांकि यह क्षमता भारत के पास अब से सात साल पहले ही तैयार हो गई थी लेकिन इसका प्रदर्शन अभी ही किया गया।
आशा है कि कुछ ही वर्षों में भारत के वैज्ञानिक इस उपग्रहभेदी क्षमता को इतना आगे बढ़ा देंगे कि किसी भी महाशक्ति की हिम्मत नहीं होगी कि वह भारत पर किसी भी प्रकार के अंतरिक्ष-आक्रमण का साहस करे। यह प्रक्षेपास्त्र भारत का अपना है। उधार का नहीं है। पूर्ण स्वदेशी है। इसकी खूबी यह है कि इसका मलवा अंतरिक्ष, आकाश या पृथ्वी पर प्रदूषण नहीं फैलाएगा, जैसा कि चीन के प्रक्षेपास्त्र ने 2007 में फैलाया था।
सबसे अच्छी बात यह है कि इस प्रयोग से किसी भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष संधि या नवाचार का उल्लंघन नहीं हुआ है। जिस उपग्रह को इसने मार गिराया है, वह हमारा अपना है। वह पहले से निष्क्रिय था। भारत की इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर चीन की प्रतिक्रिया तो काफी संतुलित है। उसने आशा की है कि भारत इसका शांतिपूर्ण प्रयोग ही करेगा लेकिन पाकिस्तानी प्रवक्ता ने इस पर व्यंग्य ही कसा है, जो कि अनावश्यक है, अनुचित है।
इसमें शक नहीं है कि इस प्रक्षेपास्त्र की घोषणा के पहले भारत के टीवी चैनलों ने इतना हड़कम्प खड़ा कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पता नहीं कितनी भंयकर या अदभुत घोषणा करने वाले हैं। उसका नतीजा उलटा ही हुआ। जब मेादी ने अपने राष्ट्र के नाम संदेश में उपग्रहभेदी प्रक्षेपास्त्र की घोषणा की तो देश के करोड़ों श्रोता बगलें झांकने लगे। चुनाव के मौसम में लोग कुछ अन्य उम्मीदें लगाए बैठे थे। वास्तव में इस उपलब्धि का श्रेय देश की सभी सरकारों और हमारे वैज्ञानिकों को है, जो इस दिशा में निरंतर प्रयत्न करते रहे।
यदि यह प्रक्षेपास्त्र साल-दो साल पहले छूटता तो इसके छूटने का राजनीतिकरण नहीं होता। अब विपक्षी नेता मोदी की मजाक उड़ा रहे हैं, यह ठीक नहीं। चुनाव के मौसम में हर नेता और हर पार्टी किसी भी उपलब्धि को अपने खाते में जमा करवाना चाहता है। इसमें गलत क्या है? मुझे शिकायत यह है कि इस प्रक्षेपास्त्र को कोई उत्तम नाम क्यों नहीं दिया गया ?
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार है