तल्ख धूप के बीच गुरूवार को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेगा रोश शो ने सियासी पारा और बढ़ा दिया। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के पास महामना मोहन मालवीय की प्रतिमा पर मोदी ने माल्यार्पण कर रोड शो की शुरूआत की। लाखों की तादाद में पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी ने निश्चित तौर पर मतदान के चौथे चरण से पहले एक सुनियोजित माहौल बनाने की कोशिश की है जिसका इरादा 163 संसदीय सीटों को स्पर्श करना भी था। इसमें पूर्वांचल पर खास फोकस है। हालांकि अब कुल 183 सीटों पर चुनाव होना शेष है जिसमें 163 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा को 2014 की तरह एक उम्मीद दिखाई देती है। यह बात सही है तब मोदी वादों के साथ जनता के बीच थे, इस बार अपने रिपोर्ट कार्ड के साथ हैं। जहां तक प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बात है तो स्वच्छता, सडक़ और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में लोगों को बदलाव महसूस हुआ है लेकिन ग्रामीण इलाकों में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ है।
खुद मोदी के गोद लिए आदर्श गांव जयापुर में लोगों ने उम्मीद के मुताबिक बदलाव नहीं पाया हैं फिर भी मोदी को लेकर एक उम्मीद है अब यह प्रचार तंत्र का कमाल है या मोदी के बरक्स विपक्ष के पास चेहरे का अभाव-कुछ भी हो सकता है लेकिन एक बात जो खास है, उसमें एक बात सामान्य है कि लोगों की बातचीत का केन्द्र बिंदु प्रधानमंत्री ही होते हैं। शायद यह उनकी जुड़ाव की कला उन्हें बाकी नेताओं से अलग करती है। शायद यही वजह रही होगी कि इस बार कांग्रेस ने प्रियंका वाड्रा को उनके खिलाफ खड़ा करने का विचार अंतिम समय में स्थगित कर दिया और अजय राय को दोबारा प्रत्याशी घोषित कर दिया। हालांकि मोदी के नामांक न से ठीक पहले कांग्रेस द्वारा प्रियंका वाड्रा को ना लड़ाने के फैसले पर भाजपा अपने ढंग से हमलावर है। स्वाभाविक है यह अवसर भी कांग्रेस के रणनीतिकारों की वजह से ही भाजपा को मिला है। पिछली बार प्रियंका वाड्रा ने खुद ही वाराणसी से चुनाव लडऩे की इच्छा का इजहार कि या था। हालांकि उन्होंने कहा था कि इसके लिए पार्टी और राहुल गांधी अंतिम फैसला लेंगे।
उनके पति राबर्ट वाड्रा ने भी ऐसी किसी संभावना और अवसर को बड़ी गर्मजोशी से लेते हुए कहा था कि जो भी जिम्मेदारी पार्टी देगी उसे पूरी मेहनत से निभाया जाएगा। वाराणसी के पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी ऐसी ही इच्छा जाहिर की थी पर अब ना लडऩे की स्थिति में भाजपा अपने ढंग से मोदी की आभा मंडल का गुणगान करने में लग गई है। वाराणसी में रोड शो से कुछ बातें पूरी तरह से साफ हो गई हैं। मसलन राष्ट्रवाद और विकास के साथ ही सुरक्षा के विषयों को मिला-जुला कर भाजपा ने जो सियासी जमीन तैयार की है। उसका फिलहाल विपक्ष के पास कोई काट नहीं है। हालांकि देश के भीतर किसानों का संकट उनकी कम आय को लेकर पहले से मौजूद हैं। बेरोजगारी का सवाल भी इन पांच वर्षों में और तीखा हुआ है। औद्योगिक क्षेत्र में भी मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी जैसे क्रांतिकारी फैसलों का प्रतिकूल असर दिखा है। ये सब बुनियादी सवाल हैं। 2014 में मोदी की तरफ से इन पर बुनियादी पहल करने का वादा किया गया था लेकिन इन वर्षों में स्थितियां बिगड़ी हैं।