आखिर नेता ऐसा बोलते ही क्यों हैं?

0
268

नेता और जनप्रतिनिधि में फर्क होता है। नेता किसी कौम या समाज का हो सकता है, लेकिन एक जनप्रतिनिधि के लिए एसा संवभ नहीं है। वह संवैधानिक रूप से सबके साथ एक जैसा व्यवहार करने के लिए वचनबद्ध होता है। यदि कोई जनप्रतिनिधि अपनी मर्यादाओं का हनन करता है तो उसके खिलाफ न केवल संविधान के दायरे में दंडनात्मक कार्रवाई होना चाहिए बल्कि वह अगर किसी दल विशेष से जुड़ा हुआ है तो उसके शीर्ष नेतृत्व को भी ऐसे विधायक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए। मगर ऐसा होता नहीं है। इसी लिए तो तमाम ओवैसी, आजम खां, इमरान मसूद, हाजी याकूब, गिरीराज सिंह, साक्षी महाराज, प्रज्ञा ठाकुर, फारूख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, अरविंद केजरीवाल, मणिशंकर अय्यर, कपिल सिब्बल, सैम पित्रादा, शशि थरूर, संजय निरूपम, नवजोत सिंह सिद्धू, कन्हैया कुमार जैसे तमाम नेता जिनकी लम्बी-चौड़ी लिस्ट तैयार की जा सकती है, समय-समय पर समाज में जहर घोलने का काम करते रहते हैं।

यह वह नेता हैं जो आदतन विवादित बयानबाजी करते रहते हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तो बीते कई माह तक प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जनता से चौकीदार चोर-चोर के नारे ही लगवाते रहे। यह सिलसिला कांग्रेस की करारी हार के बाद ही थमा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद के जरीवाल को कौन भूल सकता है जिन्होंने बीते वर्ष बीजेपी के नितिन गडकरी, अरुण जेटली और कांग्रेस के कपिल सिब्बल से माफी मांगी थी। अरविंद केजरीवाल ने नॉनस्टॉप माफीनामे देकर राजनीति वाकई बदल दी थी। आम चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गुरु सैम पित्रोदा की जुबान ने खूब जहर उगला। उन्होंने 1984 के सिख दंगों पर यहां तक कह दिया, ‘हुआ सो हुआ’, इस पर राहुल गांधी ने कहा कि पित्रोदा को माफी मांगनी पड़ेगी। सैम पित्रोदा ने गलती नहीं मानी और माफी मांगते हुए कहा कि मेरी हिंदी कमजोर है। मेरे कहने का मतलब था जो हुआ, बुरा हुआ। केजरीवाल की तरह ही राहुल गांधी आजकल मानहानि के मामले में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।

राहलु को तो सुप्रीम कोर्ट तक से माफी मांगनी पड़ गई थी। आम चुनाव के समय राहुल गांधी ने ‘चौकीदार चोर है’ का जो नारा दिया था, उसे उन्होंने सही साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी तक का सहारा ले लिया था। प्रज्ञा ठाकुर ने बीजेपी से टिकट मिलते ही विवादित बयानों का खाता खोल दिया था। 26.11 मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए हेमंत करकरे के बारे में प्रज्ञा ठाकुर ने यहां तक कह दिया कि वो उनके श्राप से मरे। बीजेपी ने इस बयान से भी खुद को अलग कर लिया था। बात यूपी की कि जाए तो कांग्रेस नेता इमरान मसूद के उस विवादित बयान को कौन भूल सकता है जिसमें उन्होंने मोदी की बोटी- बोटी काट देने की बात क ही थी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेता तो अक्सर ही विवादों में घिरे रहते हैं। इसी कड़ी में आपत्तिजनक बयानों को लेकर वेस्ट उत्तर प्रदेश के शामली स्थित कैराना के सपा विधायक नाहिद हसन एक बार फिर चर्चाओं में हैं। उन्होंने सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने रोजी- रोटी के धंधे में ही साम्प्रदायिकता का जहर घोल दिया। नाहिद के विवादित बयान का वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह अपनी कौम वालों से कैराना में भाजपाई व्यापारियों से सामान न खरीदने की अपील करते नजर आ रहे हैं। वह कह रहे हैं कि यदि हमारे लोगों ने इस पर अमल कर लिया, तो इनके दिमाग ठीक हो जाएंगे।

अजय कुमार
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here