आखिर नगा-समझौता खटाई में क्यों पड़ गया है ?

0
199

नगालैंड की समस्या हल होते-होते फिर उलझ गई है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद नगा नेताओं से जो समझौता करवाया था, वह आजकल खटाई में पड़ गया है। नगा विद्रोहियों के सबसे बड़े संगठन ‘नेशनल सोश्यलिस्ट कौसिंल आॅफ नगालिम’ के नेता टी. मुइवाह आजकल दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और धमकियां दे रहे हैं कि उन्हें भारत के विरुद्ध फिर हथियार उठाने पड़ेंगे। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि नगालैंड के वर्तमान राज्यपाल आर.एन. रवि और मुइवाह के बीच तलवारें खिंच गई हैं। रवि मूलतः भारत सरकार के अफसर रहे हैं और वे बरसों से नगा-विद्रोहियों से शांति-वार्ता चला रहे हैं। वे सफल वार्ताकार के तौर पर जाने जाते हैं लेकिन पिछले साल जुलाई में उन्हें नगालैंड का राज्यपाल बना दिया गया।

जब से वे राज्यपाल बने हैं, उन्हें नगा-सरकार के अंदरुनी सच्चाइयों का पता चलने लगा है। उन्होंने नगा मुख्यमंत्री एन.रियो को भी साफ-साफ कहा और अपने स्वतंत्रता-दिवस भाषण में भी खुले-आम बोल दिया कि नगा-प्रदेश आपाद-मस्तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। केंद्र से आने वाला धन नगा-जनता के कल्याण के लिए खर्च होना चाहिए लेकिन वह उसके पास पहुंचने के पहले ही साफ हो जाता है। उन्होंने नगा-संगठन का नाम लिए बिना यह दो-टूक शब्दों में कह दिया कि नगा-प्रदेश में ‘हथियारबंद गिरोह’ एक समानांतर सरकार चला रहे हैं। उधर राज्यपाल रवि के खिलाफ नगा-संगठन ने कटु अभियान छेड़ दिया है। जब 2015 में उस समझौते पर दस्तखत हुए तो उसे उजागर नहीं किया गया था लेकिन मुइवाह का कहना है कि समझौता तभी लागू होगा, जबकि उन तीन मांगों पर अमल होगा।

नगालैंड का अपना संविधान होगा, अपना ध्वज होगा और आस-पास के प्रदेशों में फैले नगा इलाकों को जोड़कर वृहद नगालैंड उन्हें दिया जाएगा। हो सकता है कि वार्ताकार के नाते रवि ने नगा नेताओं को कुछ गोलमाल भरोसा दे दिया हो लेकिन राज्यपाल के नाते पिछले साल भर में इन नेताओं से उनकी अनबन हो गई हो। यों भी वार्ताकार की अनौपचारिक और मैत्रीपूर्ण हैसियत तथा राज्यपाल के औपचारिक रुतबे में काफी फर्क होता है। व्यक्तिगत तालमेल के बिगड़ने से नगा-समझौता भी बट्टेखाते में चला जाए, यह ठीक नहीं है। केंद्र सरकार चाहे तो नगा नेताओं के साथ नए सिरे से वार्ता शुरु कर सकती है और रवि का किसी दूसरे राज्य में तबादला भी कर सकती है।

डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here