शुक्रवार, 23 अप्रैल को चैत्र मास के शुल पक्ष की कामदा एकादशी है। ये नवसंवत् 2078 की पहली एकादशी है। इस तिथि पर व्रत- उपवास और पूजा करने वाले भक्तों की सभी कामनाएं पूरी हो सकती हैं। ऐसी मान्यता है। इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करने का और व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन अन्न का त्याग करना चाहिए। फलाहार और दूध का सेवन कर सकते हैं। व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को फल, पीले फूल, दूध, दही, काले तिल और पंचामृत चढ़ाएं। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और शकर मिलाकर बनाना चाहिए।
विष्णुजी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी व्रत की कथा सुननी चाहिए। द्वादशी तिथि पर यानी अगले दिन ब्राह्मणों को खाना खिलाएं, दानदक्षिणा दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। एकादशी पर बाल गोपाल की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें और माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तें के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि कामदा एकादशी के व्रत से पापों का असर खत्म होता है और पुण्य में बढ़ोतरी होती है। सालभर की सभी एकादशियों का महत्व और उनकी कथा श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। कामदा एकादशी सभी परेशानियों को दूर करने वाली और सुखों में वृद्धि करने वाली मानी गई है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इसमें सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है।