हाथ वालों को हुआ क्या है?

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नेताओं का नया समूह कांग्रेस में बन गया है। इसमें नए नेता भी हैं और पुराने भी। सीधे से कह लें तो कांग्रेस में अब नए और पुराने नेताओं के झगड़े का रूप बदल गया है। अब झगड़ा राहुल गांधी के करीबी बनाम उनके प्रतिद्वंदियों के बीच हो गया है, जिसमें पुराने नेता परदे के पीछे से दांव साध रहे हैं। इन दोनों के अलावा एक समूह ऐसा है, जो अपनी पसंद और मर्जी के हिसाब से पाले के इस तरफ या उस तरफ रहता है। इस बार इसी समूह के नेताओं ने राहुल के करीबियों को निशाना बनाया है। अगर पंजाब के राज्यसभा सांसद शमशेर सिंह दुलो को छोड़ दें तो यूपीए दो की सरकार में मंत्री रहे मनीष तिवारी, मिलिंद देवड़ा, शशि थरूर और आनंद शर्मा ने इस बार राजीव सातव और उनके बहाने राहुल गांधी को निशाना बनाया है। हालांकि इन्होंने किसी का नाम नहीं लिया पर साफ दिख रहा है कि निशाना राहुल गांधी हैं। सातव ने राज्यसभा सांसदों की बैठक में कहा कि यूपीए दो के मंत्री रहे नेता आत्मचिंतन करें कि उस समय दो सौ से ज्यादा सांसद थे, जो 2014 में घट कर 44 यों रह गए?

इस पर सबसे पहले मनीष तिवारी ने ट्विट किया और यह सवाल उठाया कि या यूपीए को अंदर से ‘सैबोटाज’ यानी नुकसान पहुंचाया गया था? शशि थरूर और मिलिंद देवड़ा ने तत्काल इसका समर्थन किया। बाद में आनंद शर्मा ने भी उस समय सरकार में मंत्री रहे नेताओं का बचाव करते हुए ट्विट किया। अब सवाल है कि अंदर से किसने सैबोटाज किया? या राहुल गांधी के किसी करीबी ने 2 जी स्पेट्रम या कोयला घोटाले का मामला लीक करके सरकार को नुकसान पहुंचाया? कहीं मनीष तिवारी का इशारा दागी सांसदों को बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को राहुल गांधी की ओर तो नहीं है? वैसे माना ये भी जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता या कांग्रेस कार्यसमिति की पिछले महीने की बैठक में हुए अपमान का बदला ले रह हैं? कार्य समिति की बैठक में राहुल और प्रियंका गांधी की मौजूदगी में कई युवा नेताओं ने पार्टी के वरिष्ठ और बुजुर्ग नेताओं को निशाना बनाया था। इस बात के लिए उनको निशाना बनाया गया था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर हमला करने से बचते हैं, जबकि राहुल अकेले नेता हैं, जो सीधे मोदी से भिड़ रहे हैं।

इस बात पर राजीव सातव, रणदीप सुरजेवाला, सुष्मिता देब आदि ने बुजुर्ग नेताओं को खूब खरी-खोटी सुनाई। राजीव सातव के इस बयान से कांग्रेस पुराने नेताओं को मौका मिल गया। ऐसा इसलिए भी हुआ योंकि राज्यसभा सांसदों की बैठक में राहुल और प्रियंका तो नहीं ही थे, राहुल के बाकी करीब नेता भी इसमें नहीं थे। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल जरूर थे पर वे बड़े नेताओं के आगे बोल नहीं पाते हैं योंकि उनका कद बहुत छोटा है और राहुल गांधी ने जबरदस्ती उनको बड़ा नेता बनाया हुआ है। बहरहाल, राजीव सातव के बयान को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने एक नया ट्विस्ट दे दिया। उन्होंने कहा कि यह मनमोहन सिंह के कामकाज पर टिप्पणी है। ट्विट करके नेताओं ने कहा कि सातव ने मनमोहन सिंह के कामकाज पर सवाल उठाया और भाजपा को हमला करने का एक और मौका दे दिया है। सबको पता है कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों मनमोहन सिंह का समान करते हैं। सो, बेचारे सातव फंस गए।

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