चक्का जाम पर सतर्कता जरूरी

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कृषि कानूनों को रद कराने के लिए किसान संगठनों द्वारा लगभग सवा दो माह से चल रहे आंदोलन को प्रभावी बनाने के लिए भले ही किसान नेता रात-दिन एक कर रहे हों, लेकिन इस आंदोलन का असर जिद्दी केंद्र सरकार पर प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा है। जहां सरकार अडिय़ल रवैया अपनाकर किसानों को इन तीनों कानून का महत्व बताना चाहती है। वहीं किसान भी आंदोलन को सशत बनाने के लिए घरों में बैठे किसानों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में किसान संगठनों ने एक और कदम आगे बढ़ाते हुए आज दिल्ली व एनसीआर को छोड़कर चका जाम का ऐलान किया है। हालांकि ये चका जाम मात्र तीन घंटों का होगा लेकिन इसमें किसान संगठनों व प्रशासन को पूरी तरह से सतर्क रहना होगा। क्योंकि आशंका यह भी है कि कहीं असामाजिक तत्व किसानों के वेष में आकर देश की शांति व्यवस्था को प्रभावित न कर दें। इसके लिए संगठनों को जहां फूंक-फूंककर कदम रखने होंगे, वहीं प्रशासन व खुफिया विभाग की भी जिम्मेदारी है कि चका जाम के दौरान मुख्य मार्गों पर पैनी नजरें जमाए रखे।

यदि गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में जैसी शर्मनाक घटना हो गई तो किसान आंदोलन हिंसा के लिए बदनाम हो जाएगा। साथ ही आम जनता द्वारा आंदोलन के प्रति मिलने वाली सहानुभूति में भी कमी आ सकती है। आंदोलन विरोधियों को किसानों पर भांत-भांत के आरोप लगाने का अवसर मिल जाएगा, जैसा कि दिल्ली की घटना के बाद होने लगा था। एक समय था कि किसान आंदोलन कमजोर होने लगा था। आंदोलन के खिलाफ विरोधी सड़कों पर उतर आए थे। इसी के मददे नजर भारतीय किसान यूनियन के प्रवता व गाजीपुर बार्डर पर आंदोलन की कमान संभाल रहे राकेश टिकैत का यह कहना कि आंदोलन में स्थानीय किसानों से आह्वान किया गया है कि शांति के साथ चका जाम करें। इस बात का प्रतीक है कि किसान शांति के साथ ही आंदोलन को प्रगति की दिशा देना चाहते हैं। वह भी दिल्ली जैसी घटना से बचना चाहते हैं। राकेश टिकैत का ये अपील करना कि गांव, शहरों, कस्बों में जो भी प्रदर्शनकारी चका जाम करेंगे, उनकी सेवा की जाएगी। इस दौरान किसान संगठन आम लोगों को मूंगफली, चना, पानी, फल, खाना समेत अन्य चीजें देंगे।

उनके कथन से लग रहा है कि चका जाम के द्वारा आम आदमी को आंदोलन से जोडऩे का प्रयास होगा, लेकिन इस दौरान यह ध्यान रखना होगा कि कोई अप्रिय घटना न घटे। आंदोलन को लोकप्रिय बनाने व जनता की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए किसान नेताओं को चाहिए कि वह चका जाम में इस बात का ध्यान रखें कि इस दौरान कोई असामाजिक तत्व शामिल न हों, क्योंकि वह आंदोलन को प्रभावित कर सकते हैं। किसान नेताओं को यह भी प्रयास करने चाहिए कि इस चका जाम से किसी आम आदमी को कोई असुविधा न हो, यदि लोगों को दुविधाओं का सामना करना पड़ा तो उनका आंदोलन प्रभावित हो सकता है। किसान नेताओं का यह भी फर्ज बनता है कि किसानों से वह यह अपील भी करें कि कोई सरकारी संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं। सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना हिंसा का प्रतीक होगा। जो उनकी अब तक की गतिविधियों पर ग्रहण लगा सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस बात का ध्यान रखना होगा कि जहां-जहां चका किया जा रहा है, वहां आला अधिकारियों को तैनात किया जाए ताकि भयावह स्थिति बनने पर हालात को संभाला जा सके।

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