अमेरिका आखिरकार उन भयानक चार साल से बचकर निकल आया, जिनमें एक बेशर्म राष्ट्रपति था, जिसे रीढ़विहीन पार्टी का समर्थन था और बेईमान नेटवर्क बढ़ावा दे रहे थे। हैरानी की बात है कि हमारा तंत्र फटा नहीं क्योंकि यह ज्यादा गर्म हो चुके भाप इंजन जैसा हो गया था। डोनाल्ड ट्रम्प के जाने, उनके समर्थकों की सीनेट में शक्ति कम होने और बाइडेन के आने का असर जल्द नहीं दिखेगा। बाइडेन का काम आसान नहीं होगा, क्योंकि हमने अभी यह समझना भी शुरू नहीं किया कि ट्रम्प ने देश की जनता और संस्थानों को कितना नुकसान पहुंचाया है। ऐसा नहीं है कि ट्रम्प ने कभी कुछ अच्छा नहीं किया। लेकिन उसके लिए चुकाई गई कीमत बहुत बड़ी थी, जिसने देश को बांटा और आधुनिक इतिहास की सबसे बुरी स्थिति में पहुंचा दिया। हमें फिर एकजुट होना होगा। पूरे अमेरिका को किसी वीकेंड रिट्रीट पर जाकर वह जोड़ खोजने की जरूरत है, जिसने इसके लोगों को एकजुट रखा था। मैं सोचता हूं कि हम फिर अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं। कैसे? मेरे हिसाब से ट्रम्प के राष्ट्रपति काल की खासियत यह थी कि वे नियम तोड़ते हुए, झूठ बोलते हुए, लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हुए साल दर साल नीचे गिरते गए। कभी भी उन्होंने अच्छा पहलू दिखाते हुए, खुद की आलोचना कर और दया भाव दिखाकर हमें चौंकाया नहीं। उनका चरित्र उनकी किस्मत थी, और यह हमारी भी बन गई। हम ठीक हो सकते हैं, अगर हम सभी, नेता, मीडिया, कार्यकर्ता उस पर ध्यान दें, जिस पर ट्रम्प ने कभी नहीं दिया: एक- दूसरे को अपना अच्छा पहलू दिखाकर चौंकाएं।
अच्छा पहलू दिखाना निराशावाद कम करता है। यह याद दिलाता है कि भविष्य हमारी किस्मत नहीं, बल्कि हमारा चुनाव है। यह चुनाव कि अतीत भविष्य को दफन करेगा या भविष्य अतीत को। मुझे अब भी अच्छे से याद है कि मैं तब कहां था, जब अनवर अल-सदत ने इजरायल में आकर शांति स्थापित करने की इच्छा जताकर दुनिया को चौंकाया था। इसने मुझे मध्यपूर्व में नई संभावनाओं के भाव और खुशी से भर दिया था। मैंने भी ट्रम्प को एक बार चौंकाया था। जब उन्होंने और जैरेड कुशनर ने इजरायल और यूएई के बीच रिश्ते सामान्य करने के लिए डील तैयार की थी, तो मैंने इस संधि की प्रशंसा में लेख लिखा था। कुछ दिन बाद मेरा फोन बजा। यह ट्रम्प का फोन था। उनके पहले शब्द दे, ‘मुझे यकीन नहीं होता कि ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने आपको इतना अच्छा लिखने दिया।’ बेशक अखबार मुझे नहीं बताता कि क्या लिखना है, इसलिए वे हैरान थे कि मैंने यह मर्जी से लिखा। इसने उन्हें एक पल के लिए ही सही, मेरे बारे में फिर से सोचने पर मजबूर किया। यह चौंकाने की ताकत है। पिछले हफ्ते मुझे लिज चेने ने ट्रम्प के महाभियोग के पक्ष में वोट देकर चौंकाया। उन्होंने देश और संविधान को पार्टी से पहले रखकर अच्छा पहलू दिखाया। तो मैं अमेरिकियों से दो चीजें मांगता हूं-जो बाइडेन को आपको चौंकाने का मौका दें और खुद को उन्हें चौंकाने की चुनौती दें।
अमेरिकी व्यापारी रुपर्ट और लैलान मर्डोक को यह बताकर हमें चौंकाएं कि उनके नेटवर्क ने उस बड़े झूठ को भड़काया, जिससे कैपिटल पर हंगामा हुआ। इसलिए व्यापारी अब उन्हें विज्ञापन नहीं देंगे। मार्क जुकरबर्ग और शेरिल सैंडबर्ग फायदे के लिए बांटने वाली खबरों के प्रसार को रोककर हमें चौंकाएं। वामपंथियों से लेकर श्वेत सर्वोच्चतावादी दक्षिणपंथियों और अन्य अतिवादियों में दूर-दूर तक वैसा कोई नहीं है, जैसे कैपिटल पर धावा बोलने वाले थे। लेकिन उदारवादी दक्षिणपंथियों को चौंका सकते हैं, अगर वे तब राजनीतिक वास्तविकता को ताकत से नकार दें, जब यह विरोध को दबाए और न सिर्फ पुलिस हिंसा की मांग करे, बल्कि अल्पसंख्यक इलाकों में भी हिंसा करवाए, जो अश्वेतों और श्वेतों, दोनों को डराती है। अंतत जैसा कि मैंने कहा कि, बाइडेन की आलोचना करने से पहले, हम उन्हें कुछ महीने दें कि वे अपने अच्छे पहलू से हमें चौंका सकें। उन्हें पार्टी से ऊपर देश को रखने का मौका दें। बाइडेन ने शपथ ले ली, हम भी परिवार के साथ शपथ लें कि ‘मैं शपथ लेता हूं कि मैं पूरी क्षमता से अमेरिकी संविधान की रक्षा करूंगा।’ हम सभी ऐसा करें और बाइडेन को अच्छा पहलू दिखाकर चौंकाने का मौका दें, तो शायद हो सकता है कि हम कोविड-19 के साथ उस भयानक राजनीतिक बुखार की गिरफ्त से भी बाहर आ जाएं, जिसने अमेरिका को घेरा हुआ है। या यह एक सुखद अचरज नहीं होगा?
थॉमस एल. फ्रीडमैन
(लेखक तीन बार पुलित्जऱ अवॉर्ड विजेता एवं ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में नियमित स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)