कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी या आंवला नवमी कहा जाता है। इस वर्ष अक्षय नवमी या आंवला नवमी 23 नवंबर को है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा की तिथि तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. शोनू मेहरोत्रा के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के अतिरिक्त भगवान विष्णु की भी विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन स्नान, पूजा, तर्पण तथा अन्नादि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। अक्षय नवमी को धात्री नवमी और कूष्माण्ड नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े-बुजुर्ग सदस्य विधि-विधान से आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना करके भक्तिभाव से इस पर्व को मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आंवला पेड़ की पूजा कर 108 बार परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पूजा-अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, सब्जीए, मिष्ठान्न आदि का भोग लगाया जाता है। कई धर्मप्रेमी तो आंवला पूजन के बाद पेड़ की छांव में ब्राह्मण भोज भी कराते हैं। इस दिन महिलाएं भी अक्षत, पुष्प, चंदन आदि से पूजा- अर्चना कर पीला धागा लपेट कर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। धर्मशास्त्र के अनुसार इस दिन स्नानए दानए यात्रा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।