कोरोना बंदोबस्त को लेकर यह टीका – टिप्पणी का वक्त नहीं

0
225

कोरोना के टीके को लेकर भारत में कितनी जबर्दस्त टीका-टिप्पणी चल रही है। नेता लोग सरकारी बंगलों में पड़े-पड़े एक-दूसरे पर बयान-वाणों की वर्षा कर रहे हैं। हमारे दब्बू और डरपोक नेता मैदान में आकर न तो मरीजों की सेवा कर रहे हैं और न ही भूखों को भोजन करवा रहे हैं। हमारे साधु-संत, पंडित-पुरोहित और मौलवी-पादरी ज़रा हिम्मत करें तो हमारे लाखों मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, गिरजों, आर्य-भवनों में करोड़ों मरीज़ों के इलाज का इंतजाम हो सकता है।

कितनी शर्म की बात है कि सैकड़ों लाशों के ढेर नदियों में तैर रहे हैं, श्मशानों और कब्रिस्तानों में लाइनें लगी हुई हैं और प्राणवायु के अभाव में दर्जनों लोग अस्पताल में रोज ही दम तोड़ रहे हैं। गैर-सरकारी अस्पताल अपनी चांदी कूट रहे हैं। गरीब और मध्यम-वर्ग के लोग अपनी जमीन, घर और जेवर बेच-बेचकर अपने रिश्तेदारों की जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। सैकड़ों लोग नकली इंजेक्शन, नकली सिलेंडर और नकली दवाइयां धड़ल्ले से बेच रहे हैं। वे कालाबाजारी कर रहे हैं।

वे हत्या के अपराधी हैं लेकिन भारत की शासन-व्यवस्था और न्याय-व्यवस्था उन पर कितनी मेहरबान है कि उन्हें थाने या जेल में बिठाकर मुफ्त में खाना खिला रही है और कोरोना की महामारी से उनकी रक्षा कर रही है। इस निकम्मेपन पर भारतीय जनता, अखबारों और हमारे बकबकी टीवी चैनलों की चुप्पी आश्चर्यजनक है। अभी तक एक भी कालाबाजारी को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। यह संतोष का विषय है कि देश की अनेक समाजसेवी संस्थाएं, जातीय संगठन, गुरुद्वारे और कई दरियादिल इंसान जरुरतमंदों की मदद के लिए मैदान में उतर आए हैं।

मेरे कई निजी मित्रों ने अपनी जेब से करोड़ों रु. दान कर दिए हैं, कइयों ने अपने गांवों और शहरों में तात्कालिक अस्पताल खोल दिए हैं और भूखों के लिए भंडारे चला दिए हैं। मेरे कई साथी ऐसे भी हैं, जो दिन-रात मरीजों का इलाज करवाने, उन्हें अस्पतालों में भर्ती करवाने और उनके लिए आक्सीजन का इंतजाम करवाने में जुटे रहते हैं। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार और सभी दलों की राज्य सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई हैं। यह ठीक है कि वे सब लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं।

इस वक्त सभी सरकारों के प्रति मोहभंग का माहौल है। प्रधानमंत्री और सारे मुख्यमंत्री मिलकर यह फैसला क्यों नहीं करते कि कोरोना की वेक्सीन कहीं से भी लानी पड़े, वह सबको मुफ्त में मुहय्या करवाई जाएगी। इस वक्त चल रहे सेंट्रल विस्टा जैसे कई खर्चीले काम टाल दिए जाएं और विदेशों से भी वेक्सीन खरीदी जाए। अब तक भारत में 17 करोड़ से ज्यादा लोगों को टीका लग चुका है। इतने टीके अभी तक किसी देश में भी नहीं लगे हैं। इस वक्त जरुरी यह है कि नेतागण आपसी टीका-टिप्पणी बंद करें और टीके पर ध्यान लगाएं।

डा. वेद प्रताप वैदिक
(लेखक भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here