युधिष्ठर द्वारा बताई कलियुग की निशानी हो रही सच

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महाभारत काल में पांडव राजा महाराज युधिष्ठर ने कलियुग के आने के संकेत इन निशानियों में दे दिए थे, जो आज सच साबित हो रहे हैं। हुआ यूं था कि अज्ञातवास के समय में पांडव ने एक विचित्र महल देखा, उसे अंदर देखने के लिए शर्त रखी थी कि जो अंदर का वृतांत व सार व्याया सहित नहीं बताएगा उसे बंदी बना लिया जाएगा। भीम उत्तर की दिशा में गए जहां उन्होंने तीन कुएं देखे जिसमे कड़ा कुआं दो छोटों कुओं पानी से भर देता है, जब बड़ा कुआं खाली हो जाता है तो दोनों छोटे कुएं बड़े कुएं को नहीं भर सके, भीम इसकी व्याया नहीं कर सका इसलिए वह महाराज शनिदेव बंदी बन गया। अर्जुन पूर्व की ओर गए उन्होंने देखा कि बाजरे के खेते में मका की फली व मका पर बाजरे की फली लगी हुई है। सही व्याया के न करने से वह भी बंदी बन गए। नकुल पश्चिम में गए उन्होंने देखा कि बहुत सारी गाय अपनी बछियों का दूध पीकर पेट भर रही हैं।

शर्त पूरी न करने पर नकुल भी बंदी बना लिए गए। सहदेव महल के अंदर देखा कि सोने का एक बड़ा पहाड़ चांदी के एक सिके पर टिका है। वह न हिलता-ढुलता है और न ही वह टस से मस होता है। चारों भाइयों के न आने पर चिंतित युधिष्ठर द्रोपदी सहित महल में गए तो उन्होंने सबकुछ देखकर बताया कि पहली शर्त के अनुसार बड़ा कुआं बाप छोटे दो कुएं बेटे हैं। कलियुग में एक बाप दो बेटों का पेट भरेगा लेकिन दो बेटे एक बाप का पेट नहीं भर सकेंगे। पहली शर्त सही बताने पर भीम को छोड़ दिया गया। दूसरी शर्त बाजरे पर मका की फली व मका पर बाजरे की फली के बारे में युधिष्ठर ने बताया कि कलियुग में ब्राह्मण के घर शूद्र महिला व बनिए के घर ब्राह्मण महिला होगी अर्थात वर्ण व्यवस्था धुमिल होगी। सही उत्तर पर अर्जुन को भी छोड़ दिया। तीसरी शर्त यानि बड़ी गाय छोटी बछिया का दूध पीने वाली शर्त के बारे में युधिष्ठर ने बताया कि कलियुग में बेटियों की कमाई खाकर मां अपना पेट भरेगी।

तीसरे उत्तर से प्रसन्न होगर महाराज शनिदेव ने नकुल को भो छोड़ दिया। चोथी शर्त का सार बताते हुए युधिष्ठर ने बताया कि सोने का बड़ा पहाड़ चांदी के एक छोटे सिके पर रखा होने के बारे में यह है कि कलियुग में पाप अस्तित्व अधिक होगा धर्म का वजूद घटेगा। पाप अपने नीचे धर्म को दबाएगा। महाराज शनिदेव ने युधिष्ठर के अंतिम प्रश्न के उत्तर से प्रभावित होकर उनके सबसे छोटे अनुज सहदेव को भी छोड़ दिया। पांडव जेष्ठ पुत्र युधिष्ठर द्वारा बताई गई कलियुग की सारी निशानियां सच हो रही है। पिता अपने परिवार के पालन पोषण के लिए संघर्ष कर रहा है किन्तु आज की संतान अपने मातापिता की सेवा से उकता रही है। इसी तरह वैवाहिक संबंधों में अब जात-पात का प्रभाव कम हो रहा है। अधिकांश स्थानों पर अंतराजातीय विवाह पर बल दिया जा रहा है। अधिकतर परिवार बेटियों के कमाए धन से चल रहे हैं। बेटे तो बेटियों से पीछे हो रहे हैं। कलियुग में धर्म का प्रभाव कम हो रहा है। जिससे लोग पाप की ओर बढ़ रहे हैं।

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