भरणी नक्षत्र में बनेगी सूर्य-चंद्रमा की युति, समृद्धि देने वाला योग

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वैशाख महीने की अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की पूजा का विशेष महत्व रहेगा। वहीं भगवान विष्णु का प्रिय महीना होने से इस तिथि पर स्नान और दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं। 11 मई को अमावस्या तिथि सूर्योदय से शुरू होकर आधी रात तक रहेगी। इसलिए इसी दिन स्नान-दान और पितरों की पूजा करना शुभ रहेगा। वैशाख अमावस्या के दौरान स्नान-दान का बहुत महत्व होता है। इस दौरान नदियों में नहाना पुण्यदायी माना गया है। लेकिन लॉक डाउन के कारण नदियों में नहाना संभव नहीं हो सकेगा। इसलिए अपने घर में ही पवित्र नदियों के जल से नहाकर वैशाख अमावस्या का पूरा फल प्राप्त किया जा सकता है। स्नान-दान और व्रत की विधि: पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक इसके लिए सूर्योदय से पहले उठें।

फिर नहाने के पानी में नर्मदा, गंगा या किसी भी पवित्र नदी का जल मिला लें। साथ में थोड़े से तिल भी डाल लें। इस पानी से नहाते हुए 7 पवित्र नदियों, गंगा, युमना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी को प्रणाम करें। महामारी या विपरित परिस्थितियों के दौरान ऐसा करने से तीर्थ स्नान का फल मिलता है। 11 मई को वैशाख अमावस्या भरणी नक्षत्र में शुरू होगी। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र है। ये ग्रह सुख और समृद्धि देने वाला है। इसलिए शुक्र के प्रभाव से अमावस्या तिथि पर पितृ शांति और रोगनाश के लिए किए गए दान एवं पूजा का विशेष फल प्राप्त होगा। अमावस्या कब से कब तक:10 मई को रात करीब 10 बजे से वैशाख अमावस्या शुरू हो गयी जो कि 11 मई को पूरे दिन और आधी रात यानी तकरीबन 12 बजे तक रहेगी। ऐसे में मंगलवार को ही स्नान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करना चाहिए। इस बार वैशाख अमावस्या को लेकर पंचांग भेद नहीं है।

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