वैक्सीन पर भ्रम फैलाना अक्षम्य

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भारत बायोटेक की स्वदशी वैक्सीन कोवैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया को संप्रदायिक चश्मे से रंग देने की कोशिश टीकाकरण अभियान को डिरेल करना है। ऐसा कृत्य राष्ट्र के साथ विश्वासघात की श्रेणी में है। एक वैज्ञानिक प्रक्रिया को लेकर सार्वजनिक भ्रम फैलाना अपराध के श्रेणी में है। किसी भी रोग की दवा कैसे बनते है, कोई भी वैक्सीन कैसे बनती है, यह पूर्ण रूप से वैज्ञानिक प्रक्रिया है। कई दवा व वैक्सीन के प्रोसस के दौरान निमाल सीरम का इस्तेमाल होता है, लेकिन दवा व टीके बन जाने के बाद उसके उत्पादन में एनिमल सीरम का इस्तेमाल नहीं होता है। यह वैज्ञानिक तथ्य है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कहा कि नवजात बछड़े के सीरम का उपयोग वेरोसेल के विकास के लिए किया जाता है। वैक्सीन बनाने में दशकों से इस्तेमाल की जाने वाली यह तकनीक है। फाइनल कोवैक्सीन डीजा में गौवंश बाइक सीरम का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके बावजूद अगर कांग्रेस नेता कोवैक्सीन में गोवंश के बछड़े के सीरम होने की बात को ट्विट कर सांप्रदायिक भावना आहत करने के मकसद से भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं, तो यह देश के साथ माफ न करने वाला गुनाह है और यह कांग्रेस के लिए भी अच्छा नहीं है।

कांग्रेस देश की जिमेदार पार्टी मानी जाती है। देश पर 50 वर्ष से अधिक समय तक कांग्रेस का शासन रहा है, देश में विज्ञान की नीव रखने में तत्कालीन कांग्रेस सरकारों की अहम भूमिका रही है। कांग्रेस के नेता व देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कभी वैज्ञानिक शोध संस्थानों को देश की आत्मा कहा था, कारखानों को देश का नया मंदिर कहा था। उसी कांग्रेस के आज के नेता अगर किसी वैज्ञानिक प्रक्रिया को सांप्रदायिक चश्मे से देखते हैं तो यह कांग्रेस की विश्वसनीयता को ही कटघरे में खड़ा करने जैसा है। या आज अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती और देश की फार्मा कंपनी कोई वैक्सीन बनाती तो तब भी उसके नेता इसको बनाने की वैज्ञानिक प्रक्रिया को लेकर ऐसे ही भ्रम फैलाती? कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए कि किस मुद्दे पर राजनीति करनी चाहिए और किस पर नहीं। या राजनीतिक हताशा में कांग्रेस पार्टी के नेता अपने देश का इतना बड़ा नुकसान करने की कोशिश कर सकते हैं। यह समझ से परे है। देश पिछले दो साल से कोरोना का दंश झेल रहा है। लाखों लोगों की जान चली गई है, करोड़ों लोग संक्रमित हैं। वैक्सीन ही कोरोना को मात देनेका एक मात्र हथियार है।

भारत ने विश्व के साथ कदम ताल चलते हुए समय रहते दो-दो स्वदेशी वैक्सीन बनाई। यह पहली बार है, जब सरकार ने विश्व के दूसरे देशों में वैक्सीन के बनने का इंतजार नहीं किया। देश की इतनी शानदार उपलब्धि का स्वागत करने के बजाय अगर कांग्रस नेता वैसीन को लेकर ही लोगों को बरगलाएंगे तो इसे दोयम दर्जे की राजनीति की कही जाएगी। कोवैवक्सीन मामले पर कांग्रेस प्रवता पवन खेड़ा का यह कहना कि हम चाहते हैं कि सरकार और भारत बायोटेक आरटीआई में जो जवाब आया है, उसका जवाब दें। इसका मतलब है कि कांग्रेस अपने नेता के भ्रम फैलाने की कोशिश के साथ है। आरटीआई पर सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाजेशन के जवाब को भी अवैज्ञानिक तरीके से लिया गया है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के शोध पेपर मेंभी यह बात पहले ही बताई गई थी कि कोवैक्सीन बनाने के लिए नवजात पशु के ब्लड का सीरम उपयोग किया जाता है। इसे पहली बार किसी वैक्सीन में उपयोग नहीं किया जा रहा है। रेबीज इंफ्लूएंजा के टीके में भी प्रयोग हुआ है। यह सभी बयोलॉजिकल रिसर्च का जरूरी हिस्सा होता है। राजनीति के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण को प्रोपेगंडा से चोट पहुंचाना अक्षय है। कांग्रेस नेताओं को ऐसे कृत्यों से बाज आना चाहिए।

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