कडाउन-5 में जिस तरह से प्रतिबंधों को सीमित किया गया है। उससे साफ है कि सरकार धीरे-धीरे प्रतिबंधों को हटा रही है। एक तरफ सरकार लॉकडाउन के दौरान छूट दे रही है तो दूसरी तरफ संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है। अब भारत का संक्रमण प्रभावित देशों में 8 वां स्थान है। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई का लम्बा रास्ता है। उन्होंने सावधान रहने की सलाह भी दी है। माना जा रहा है कि लॉकडउन-5 अनलॉक-1 की शुरूआत है। जब सरकार ने लॉकडाउन को लेकर बरत रही थी तब भी मामले बढ़ रहे थे। लॉकडाउन तोडऩे को लेकर काफी मात्रा में कार्रवाई भी हुई। लोगों ने भी नियमों व सलाह को लेकर काफी अवहेलना की थी। इसमें केवल सामान्य आदमी ही नहीं शामिल थे बल्कि जिमेदार लोगों ने भी नियमों तथा सलाह की अवहेलना की थी। उत्तर प्रदेश में कनिका कपूर के मामले में प्रदेश के कई मंत्री, अधिकारी व राजनीतिज्ञ नियमों को तोड़ते दिखाई दिये। इसमें कई ऐसे थे जिन पर नियमों के पालन की जिम्मेदारी थी। जिस तरह से लॉकडाउन के प्रतिबंधों को शिथिल किया गया है उस पर विपक्षी दलों ने सवाल भी उठाया है।
सपा का आरोप है कि पूंजीपतियों के दबाव में निर्णय लिया गया है। जब 500 केस थे तब लॉकडाउन कड़े प्रतिबंधों के साथ लागू किया गया अब जब तक यह आंकड़ा पौने दो लाख से भी अधिक है तब प्रतिबंधों में छूट दी जा रही है। प्रतिबंधों के हटने के बाद सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति हो रही है। बाजार खुल गए हैं। आटो व बसें भी चलने लगी हैं। अब यह प्रश्न सामने हैं कि जो नियम व सलाह सरकार की तरफ से जारी की गई है उसका अनुपालन कौन व कैसे करायेगा। कैसे सुनिश्चित होगा कि कार्यालय, टैक्सी, आटो व बस का सेनिटाइज किया गया है। अगर कुछ लोगों ने सेनेटाइज को लेकर लापरवाही बरती तो खामियाजा सामान्य लोगों को भी उठाना होगा। प्रतिष्ठानों व कार्यालयों पर तापमान नापने का यंत्र होना जरूरी है परन्तु तापमान मापने के लिए थर्मल स्क्रैनर को अप्रशिक्षित लोग संचालित कर रहे हैं। जिससे रीडिंग गलत आने की खबर मिल रही हैं इसके अतिरिक्त बहुत से ऐसे कोरोना संक्रमण से संक्रमित लोग पाये गये हैं जिनमें संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे।
कुछ ऐसी संभावनायें सामने हैं जिनको लेकर लोगों के मन में अभी स्थिति साफ नहीं है। राजधानी के हर बाजार में कंट्रोल रूम बनाने का निर्णय हुआ है। जिसमें की सीसीटीवी कैमरे से बाजार की निगरानी होगी। अभी तक बाजारों में लगे कैमरे की सक्रियता किसी से छुपी नहीं है। बाजारों में निगरानी समितियां बनाई गई हैं। निगरानी समिति की कार्यप्रणाली कितनी सफल होगी यह तो समय ही बतायेगा। अब यह स्थिति साफ है कि संक्रमण के बचाव स्वयं को करना होगा। जरा भी लापरवाही मुसीबत में डाल सकती है। हमें संक्रमण से स्वयं बचना होगा तथा दूसरों को भी बचाना होगा। यदि प्रत्येक व्यक्ति जागरूक हो जाय तो संक्रमण को फैलने से रोगा जा सकता हे। नागरिकों को अपनी भूमिका निभानी होगी। जो भी व्यक्ति लापरवाही बरतता है उसे सलाह देकर लापरवाही के प्रति सतर्क करना होगा। यदि फिर भी कोई व्यक्ति नहीं मानता है तो उसकी शिकायत संबंधित प्राधिकारी से करनी होगी। इन सबके साथ एक सुखद स्थिति भी सामने है प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाओं के संसाधन में वृद्धि हो रही है।