भारत किसी का पिछलग्गू नहीं

0
173

रुस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने बर्र के छत्ते को छेड़ दिया है। उन्होंने रुस की अंतरराष्ट्रीय राजनीति परिषद को संबोधित करते हुए ऐसा कुछ कह दिया, जो रुस के किसी नेता या राजनयिक या विद्वान ने अब तक नहीं कहा था। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने मातहत चीन और रुस को करना चाहता है। वह सारे संसार पर अपनी दादागीरी जमाना चाहता है। विश्व-राजनीति को वह एकध्रुवीय बनाना चाहता है। इसीलिए वह भारत की पीठ ठोक रहा है और उसने भारत, जापान, आस्ट्रेलिया और अमेरिका का चौगुटा खड़ा कर दिया है।

 

उसने प्रशांत महासागर क्षेत्र को ‘भारत-प्रशांत’ का नाम देकर कोशिश की है कि भारत-चीन मुठभेड़ होती रहे। उसकी कोशिश है कि रुस के साथ भारत के जो परंपरागत मैत्री-संबंध हैं, वे भी शिथिल हो जाएं। हो सकता है कि ट्रंप-प्रशासन की इसी नीति को आगे बढ़ाते हुए बाइडेन-प्रशासन रुस के एस-400 मिसाइल प्रक्षेपास्त्रों की भारतीय खरीद का भी विरोध करे। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में जाते-जाते भारत के साथ ‘बेका’ नामक सामरिक समझौता भी कर डाला है, जिसके अंतर्गत दोनों देश गुप्तचर सूचनाओं का भी आदान-प्रदान करेंगे। रुसी विदेश मंत्री के उक्त संदेह निराधार नहीं हैं। उनको इस तथ्य ने भी मजबूती प्रदान की है कि इजराइल, सउदी अरब और यूएई, जो कि अमेरिका के पक्के समर्थक हैं, आजकल भारत उनके भी काफी करीब होता जा रहा है।

भारत के सेनापति आजकल खाड़ी देशों की यात्रा पर गए हुए हैं। लेकिन रुसी विदेश मंत्री क्या यह भूल गए कि रुस से अपने संबंधों को महत्व देने में भारत ने कभी कोताही नहीं की। पिछले दिनों भारत के रक्षामंत्री और विदेश मंत्री मास्को गए थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पूतिन के बीच सीधा संवाद जारी है।यह ठीक है कि इस वक्त भारत और चीन के बीच तनाव कायम है। उसका फायदा कुछ हद तक अमेरिका जरुर उठा रहा है लेकिन भारत का चरित्र ही ऐसा है कि वह किसी का पिछलग्गू नहीं बन सकता है।

डा.वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here