आज रमजान पर तारीफ करने का मौका मिला। आप भी पढि़ए और बताइए कैसा है। सर्वशतिमान की प्रशंसा हो। रात और दिन हमारे निर्माता की पूजा करते हुए।। हमने परिंदों को सुनाते देखा है। शाखा पर छिड़काव करते हुए खुश रंगीन तय्यूर। हम अपने भगवान से बहुत प्यार करते हैं।। ये पंछी ये पौधे ये चमन ये समर, वे अपनी बोली में हैं, अल्लाह की प्रशंसा करते हुए। हम भी अपनी दुनिया को जन्नत बना सकते थे। जो सुबह उठकर अपने मां-बाप की सेवा करते हैं।। सब कुछ मिल सकता है तेरे खजाने से। काश तुझसे तेरी जरूरत होती। जन्नत की मांग हर सजदे की है । हमने कुछ लोगों को व्यापार करते देखा है।। इनके दिए गए इनाम को देखने वाले।। अपनी वंचितता के बारे में कभी शिकायत न करें। रमजान का महीना उन्हें और भी दुआ देता है। इफ्तार में भूखे लोगों को बुलाने वाले।। शकील उसकी इबादत का इनाम बढ़ता है । हम जो बेबस और दलितो से प्यार करते है।।