पूरा देश कोरोना वायरस के संकट से करीब तीन महीने से लड़ रहा है। तीन महीना इसलिए क्योंकि लॉकडाउन भले 25 मार्च से लागू हुआ हो पर यह तथ्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार मार्च को ट्विट करके कहा था कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से वे दस मार्च को होने वाली होली से जुड़े किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। यानी उन्होंने तीन मार्च को देश भर के लोगों को बता दिया था कि कोरोना का संकट बढ़ने वाला है। सो, सात जून को तीन महीने से तीन दिन ज्यादा हो गए हैं, भारत में कोरोना का कहर शुरू हुए। फर्क यह है कि तीन मार्च को देश में कोरोना संक्रमण के गिने-चुने मामले थे और आज दस हजार केस हर दिन आ रहे हैं। जब संक्रमितों की संख्या दहाई में थी तब प्रधानमंत्री ने होली के समारोहों में हिस्सा नहीं लिया पर अब जबकि संख्या छह अंकों में पहुंच गई है और रोज की संख्या भी पांच अंकों की है तब प्रधानमंत्री बिहार में चुनाव का आगाज करने की तैयारी कर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि अगले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी की बिहार चुनाव के लिए वर्चुअल रैलियां होंगी। उससे पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली हुई। इसे जन संवाद का नाम दिया गया है। बिहार के बाद वे उनका जन संवाद पश्चिम बंगाल में है। गौरतलब है कि बिहार में इस साल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। सो, भाजपा पूरे जोर-शोर से राजनीति करने और चुनावी तैयारी में लग गई है। उसका सारा फोकस इस समय चुनाव और राजनीति पर है। सोचें, तीन महीने से कोरोना वायरस फैला हुआ है और इन तीन महीनों में कहीं भी एक पार्टी के तौर पर भाजपा कोरोना से लड़ती नहीं दिखी। कोरोना का संक्रमण बहुत तेज फैलता है और यह स्वास्थ्य की समस्या है इसलिए भाजपा या कोई भी पार्टी मरीजों की मदद नहीं कर सकती थी पर कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुए दूसरे संकट में भी भाजपा लोगों की मदद करती नहीं दिखी।
भाजपा की सरकारों ने जरूर काम किया पर यह देखने को नहीं मिला कि हरियाणा के शहरों- गुड़गांव, सोनीपत, पानीपत, कोंडली, मानेसर, रोहतक से मजदूरों का पलायन शुरू हुआ तो प्रदेश भाजपा के नेता उनकी मदद करने के लिए सड़क पर उतरे। लाखों की संख्या में मजदूर पैदल चलते रहे, उनकी परेशानियों की खबरें मीडिया में आती रहीं, वे एक के बाद एक भाजपा शासित राज्यों की सीमा पार कर दूसरे राज्यों में जाते रहे पर अपवादों को छोड़ कर कहीं भी भाजपा सांस्थायिक रूप से उनकी मदद करती नहीं दिखी। भाजपा ने इसमें भी राजनीति ही की। जिन राज्यों में गैर भाजपा सरकारें हैं वहां भाजपा के नेताओं ने सरकार के खिलाफ आंदोलन किया। दूसरी पार्टियों को कोरोना संकट के समय में राजनीति नहीं करने की सलाह देने वाले भाजपा के नेता महाराष्ट्र, दिल्ली आदि राज्यों में आंदोलन पर उतरे। केरल में एक हथिनी की मौत हुई तो केंद्रीय मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस किया पर देश की सड़कों पर सैकड़ों मजदूर मर गए, उसके बारे में किसी ने जुबान नहीं खोली।
चार मार्च को जिस दिन प्रधानमंत्री ने होली नहीं मनाने का ऐलान किया उसके बाद 20 दिन तक संसद का सत्र चलता रहा था। बजट पास कराया गया। गुजरात में कांग्रेस के पांच विधायकों का इस्तीफा कराया गया। मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा करा कर कमलनाथ की सरकार गिराई गई और भाजपा की सरकार बनवा कर बहुमत हासिल किया गया और उसके बाद ही लॉकडाउन की घोषणा हुई। अब लॉकडाउन खत्म हो गया और अनलॉक-एक चल रहा है। इसमें भी भाजपा का पूरा फोकस राजनीति पर है। बिहार की चुनावी तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गई है और उधर गुजरात में राज्यसभा की तीसरी सीट जीतने का खेल भी चालू हो गया है। अनलॉक-एक के बाद कांग्रेस के तीन विधायकों का इस्तीफा कराया जा चुका है और इस तरह भाजपा ने तीसरी सीट पर जीत लगभग सुनिश्चित कर ली है। मध्य प्रदेश में भी सरकार के विस्तार की तैयारी चल रही है। वहां भाजपा की सरकार बनने से राज्यसभा की दो सीटें जीतने का रास्ता साफ हो गया है।
कहा जा रहा है कि राज्यसभा चुनाव के बाद ही सरकार का विस्तार होगा। महाराष्ट्र में जो राजनीति हुई वह सबकी आंखों के सामने थी, कैसे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने का राज्य सरकार की सिफारिश राज्यपाल ने नहीं मानी और कैसे मुख्यमंत्री को इस काम के लिए प्रधानमंत्री से बात करनी पड़ी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी भाजपा की राजनीति चल रही है। जिस दिन दिल्ली सरकार ने सीमा सील करने का आदेश दिया उस दिन भाजपा के नेता मनोज तिवारी धरने पर बैठ गए और उन्हें हिरासत में लेकर हटाना पड़ा। महाराष्ट्र और दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भाजपा के नेता कर रहे हैं। हालांकि इन राज्यों से कम खराब स्थिति गुजरात या तमिलनाडु की नहीं है पर उसकी चर्चा नहीं हो रही है। इसी बीच भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली सहित तीन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं और राष्ट्रीय टीम में फेरबदल की तैयारी चल रही है।
राज्यसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार में भी फेरबदल संभावित है। सो, भले देश में कोरोना का संकट चल रहा हो, हर राज्य में इसे लेकर त्राहिमाम की स्थिति हो, हर आदमी कोरोना से लड़ रहा हो या इसकी चिंता में हो पर भाजपा को राजनीति की चिंता है। बिहार में, बंगाल में, महाराष्ट्र में, दिल्ली में, गुजरात में हर जगह भाजपा पूरे जोर-शोर से राजनीति कर रही है। कोरोना संकट की वजह से उसकी राजनीतिक गतिविधियों पर असर नहीं हुआ है। इसके बरक्स कांग्रेस पार्टी के नेता सिर्फ ट्विट करके दिख रहे हैं। तभी उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम प्रियंका ट्विटर वाड्रा रख दिया है।
अजित कुमार
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)