एक अवसर भी है कोरोना

0
253

चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस (कोविड 2019) अब मनुष्य को ही नहीं, विश्व अर्थव्यवस्था को भी अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है। 2 मार्च को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना के प्रकोप से दुनिया में 2008 की वैश्विक मंदी जैसी स्थिति फिर आ सकती है। पिछले दिनों क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी कहा कि कोरोना से वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते इस वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुस्ती गहराने से विकास दर कम होगी। वैश्विक विकास दर घटकर 2.4 फीसदी, चीन की विकास दर घटकर 5.2 फीसदी और भारत की विकास दर घटकर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है। इससे पहले भारत की विकास दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। इसी तरह विश्व प्रसिद्ध ऑक्सफर्ड इकनॉमिक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस अगर नियंत्रित नहीं होता है तो इससे वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 78 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। चीन में कोरोना वायरस का प्रभाव वहां के उद्योग-कारोबार और निर्यात पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

जिन प्रांतों से चीन का 90 फीसदी निर्यात होता है, वहां बड़ी संया में कारखाने बंद हैं या कम क्षमता से चल रहे हैं। इस समय चीन में कोयले की खपत 75 फीसदी घट गई है। चीन में खुदरा महंगाई आठ वर्ष के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है। फरवरी में चीन में खुदरा महंगाई दर 5.4 प्रतिशत रही। दिसंबर, 2019 में यह 4.5 प्रतिशत रही थी। हालत यह है कि विदेशों में लोग चीन में बना सामान खरीदने से बच रहे हैं। चीन में कार्यरत कई बड़ी कंपनियों ने चीन में अपना कारोबार बंद कर दिया है। दुनिया भर में कहर बरपाने वाला कोरोना वायरस भारत में भी तेजी से फैल रहा है। कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों की संया बढ़ती जा रही है। फेस मास्क की डिमांड बढऩे से इनकी कीमत 5-7 गुना तक बढ़ गई है। इतना ही नहीं, कई जगह मेडिकल दुकानों के स्टॉक खाली हो गए हैं। चीन से आयातित वस्तुओं और कच्चे माल पर आधारित उत्पादों की कीमतें बढ़ गई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोरोना वायरस को लेकर आपदा प्रबंधन की रणनीति बनाई है। इसके खिलाफ कंपनी जगत ने अपने कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्राओं से दूर रहने और फ्लू जैसे लक्षण होने पर घर से ही काम करने के निर्देश दिए हैं। निश्चित रूप से कोरोना वायरस भारत के आर्थिक परिवेश को प्रभावित करते हुए दिखाई दे रहा है। पिछले महीने 19 फरवरी को देश में कोरोना वायरस के संकट से उद्योग कारोबार को राहत देने के मद्देनजर वित्त मंत्रालय ने कोरोना को प्राकृतिक आपदा घोषित किया है।

इसके अलावा उसने कोरोना के संकट से निपटने के लिए तत्काल जरूरी उपाय करने का संकेत देते हुए चीन से आने वाले इंटरमीडिएट गुड्स का विकल्प ‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार करने की रणनीति बनाई है। देश और दुनिया के अर्थ विशेषज्ञों का मत है कि यद्यपि कोरोना संकट का भारतीय उद्योग-कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन कोरोना प्रकोप के बीच भारत कई वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि और निर्यात के मौकों को भी मुठ्ठियों में ले सकता है। साथ ही कोरोना प्रकोप के कारण कच्चे तेल की घटी कीमतें भारत के लिए लाभप्रद रह सकती हैं। यदि वर्ष 2020 में कच्चे तेल की औसत कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहती है तो वर्ष 2020 में भारत का इपोर्ट बिल 17 प्रतिशत या करीब 1700 करोड़ डॉलर कम रह सकता है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत लाभप्रद होगा। उल्लेखनीय है कि इस समय भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार चीन है। वर्ष 2019 में भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार करीब 87 अरब डॉलर था। वर्ष 2019 में चीन से भारत का आयात करीब 70 अरब डॉलर का रहा। चीन से आयातित कच्चे माल एवं वस्तुओं पर देश के कई उद्योग-कारोबार निर्भर हैं।

अब कोरोना प्रकोप से चीन से आने वाली कई वस्तुओं के आयात में भी कमी आ गई है। इससे खासतौर से दवा उद्योग, वाहन उद्योग, स्टील उद्योग, खिलौना कारोबार, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, केमिकल्स, डायमंड आदि कारोबारों के सामने चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। इतना ही नहीं, हम चीन को जिन वस्तुओं का निर्यात करते हैं, वे उद्योग- कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। यद्यपि कोरोना वायरस मानवता के लिए एक दुखदायी प्रकोप है, लेकिन इस समय सरकार, उद्योग और कारोबार जगत तीनों मिलकर इसका एक ऐसा रास्ता खोज सकते हैं, जिससे हमें न सिर्फ तात्कालिक बल्कि दीर्घकालीन लाभ भी होंगे। क्यों न हम उन चीजों का उत्पादन और निर्यात शुरू करें, जिनका प्रॉडक्शन और एक्सपोर्ट अभी ज्यादातर चीन करता रहा है। भारत रणनीतिपूर्वक कई वस्तुओं का उत्पादन और निर्यात करके दुनिया भर के उपभोक्ताओं को राहत दे सकता है और इसके साथ ही नए निर्यात मौकों को भी मुठ्ठियों में कर सकता है। उद्योग संगठन ‘एसोचैम’ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में भी कहा गया है कि निर्यात बाजार में चीन ने जो जगह खाली की है, वह भारत ले सकता है।

ऐसे में कोरोना वायरस इस समय भारत के लिए एक आर्थिक मौका बन सकता है। चीन के संकट में पडऩे से भारत के लिए तीन तरह की संभावनाएं पैदा हुई हैं। एक, देश के छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन दे सकते हैं और अमेरिका सहित उन देशों को निर्यात बढ़ा सकते हैं, जहां चीन का निर्यात बहुतायत में बना हुआ है। दो, चीन की जगह भारत वैश्विक निवेश का नया केंद्र बन सकता है। तीन, चीन की जगह भारत दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। निश्चित रूप से यदि भारत कोरोना प्रकोप के बीच रणनीतिपूर्वक उत्पादन बढ़ाता है तो इससे एक ओर देश और दुनिया के लोगों को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर वह निर्यात बाजार में मजबूत जगह बना सकता है।

(लेखक जयंतीलाल भंडारी वरिष्ठ स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here