नई पेशेवर पीढ़ी के लिए विदेश में मौके

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कोविड-19 की चुनौतियों के बीच दुनिया के विभिन्न देशों में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी के लिए रोजगार के नए मौके बनने का परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है। इसी महीने भारत और जापान के बीच कुशल कामगारों के क्षेत्र में सहयोग संबंधी समझौते को मंजूरी दी गई है। इसके तहत जापानी भाषा की परीक्षा पास करने वाले कुशल भारतीय कामगारों को जापान में 14 निर्धारित क्षेत्रों में काम करने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं, भारतीय कामगारों को जापान सरकार की ओर से ‘निर्दिष्ट कुशल कामगार’ नाम की एक नई सामाजिक स्थिति (न्यू स्टेटस ऑफ रेजिडेंस) प्रदान की जाएगी।

एक साल में स्थायी निवासी

जापान के औद्योगिक और कारोबार जगत में तकनीक तथा नवाचार की भूमिका बढ़ जाने की वजह से वहां आईटी के साथ ही कई अन्य क्षेत्रों मसलन हेल्थकेयर, नर्सिंग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रॉसेसिंग, जहाज निर्माण, विमानन, कृषि अनुसंधान एवं विकास, सेवा, वित्त आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षित कार्यबल की भारी कमी महसूस की जा रही है। खास तौर पर बुजुर्ग होती आबादी और गिरती जन्म दर के चलते वहां समस्या बढ़ गई है। जापान ने भारतीयों के लिए वीजा नियम भी आसान कर दिए हैं। वहां उच्च कुशल पेशेवरों के लिए खास तरह का ग्रीन कार्ड जारी किया जाता है। इससे एक साल में स्थायी निवासी प्रमाणपत्र मिल सकता है।

हालांकि कोविड-19 की चुनौतियों के बीच अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे कुछ देशों में कठोर वीजा प्रतिबंधों से भारत के पेशेवरों की राह मुश्किल हुई है, लेकिन जापान की तरह दक्षिण कोरिया सहित कई ऐसे देशों में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है, जहां कार्यशील युवाओं की कमी है। इसके अलावा कोविड-19 के बीच जिस तरह दुनिया में एआई और क्लाउड कम्प्यूटिंग जैसी नई तकनीकों की जरूरत पैदा हुई है, उससे भी भारत की नई पेशेवर पीढ़ी के लिए मौके बढ़े हैं।

एचआर कन्सल्टिंग फर्म कॉर्न फेरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक जहां दुनिया में कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल कामगार होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय तक 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल कामगारों की कमी होगी। इसी तरह विश्व बैंक ने अपनी एक रोजगार संबंधी रिपोर्ट में कहा है कि आगामी 5-10 वर्षों में दुनिया में कुशल श्रम बल का संकट होगा लेकिन भारत के पास कुशल श्रम बल अतिरिक्त संख्या में होगा। स्वाभाविक ही भारत इन देशों में कुशल श्रम बल भेजकर फायदा उठाने की स्थिति में होगा।

प्रसिद्ध कंसल्टेंसी फर्म केपीएमजी के 2020 ग्लोबल टेक्नॉलजी इंडस्ट्री इनोवेशन सर्वे के मुताबिक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे क्षेत्रों में नई खोजों और अनुसंधान के मामले में भारत दुनिया में चीन के साथ दूसरे नंबर पर है। कोविड-19 की चुनौतियों के बीच भारत की प्रतिभाएं वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से दुनिया के आर्थिक विकास में नई भूमिका निभाते हुए दिखी हैं। ऑटोमेशन, रोबॉटिक्स, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और डिजिटल अर्थव्यवस्था के बीच काम करते हुए भारतीय पेशेवरों ने कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को मुश्किलों से उबरने में मदद दी है।

निश्चित रूप से कोविड-19 की चुनौतियों के बीच और बदली हुई डिजिटल दुनिया में भारत लाभ की स्थिति में है। लेकिन दिक्कत यह है कि अभी भारत की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल अर्थव्यवस्था की रोजगार जरूरतों को सीमित संख्या में ही पूरा कर पा रही हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल दौर की और नई तकनीकी रोजगार योग्यताओं के साथ अच्छी अंग्रेजी, कंप्यूटर दक्षता तथा कम्युनिकेशन स्किल्स से सुसज्जित करना होगा। दुनिया में मजबूती से आगे बढ़ने के लिए नवाचार पर जोर देना होगा।

जाहिर है, हमें नई पीढ़ी को नए दौर के कौशल प्रशिक्षण के मंत्र देने होंगे। उसे अच्छी ऑनलाइन एजुकेशन की डगर पर आगे बढ़ाना होगा। हमें तकनीक के जरिए चमकीले और उन्नत बाजार का नया रास्ता बनाने की ओर बढ़ना होगा। शोध और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर भी हमें आगे बढ़ना होगा। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी, रोबॉटिक प्रॉसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा एनालिसिस, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉक चेन और सायबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाने के फ्यूचर स्किल्स कार्यक्रम को कारगर तरीके से आगे बढ़ाना होगा।

कोविड-19 के बाद कई ऐसे-ऐसे रोजगार सामने आ रहे हैं जिनके अब तक नाम भी नहीं सुने गए थे। स्थितियों में तेजी से बदलाव का एक और नतीजा यह होता है कि रोजगार के लिए सीखे गए स्किल्स पुराने पड़ने लगते हैं। ऐसे में अच्छा करियर बनाए रखने के लिए लगातार नए स्किल्स सीखते रहना जरूरी होता है। जाहिर है, स्टूडेंट्स को डिजिटल दुनिया के करियर की नई सचाइयों को समझते हुए अपनी पढ़ाई की रणनीति बनानी होगी। इसके साथ-साथ पैरंट्स और स्कूल-कॉलेजों के द्वारा भी नई पीढ़ी में लगातार नए स्किल्स को सीखने की ललक पैदा करनी होगी। नई शिक्षा नीति में डिजिटल दुनिया के नए दौर के कौशल विकास पर काफी जोर दिया गया है। इसलिए उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देना होगा।

नए दौर का कौशल

हमें डिजिटलीकरण के लिए बुनियादी जरूरतों संबंधी कमियों को दूर करना होगा। चूंकि देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा भाग अभी भी डिजिटल रूप से अशिक्षित है, इसलिए डिजिटल भाषा से ग्रामीणों को सरलतापूर्वक परिचित करना होगा। बिजली डिजिटल अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण जरूरत है। स्वाभाविक रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करना होगा। हम उम्मीद कर सकते हैं कि जापान की तरह कार्यशील जनसंख्या की कमी झेल रहे दुनिया के विभिन्न देशों में भारत की कौशल प्रशिक्षित नई पीढ़ी को काम करने में सहभागी बनाया जाएगा। ऐसे में देश की नई पीढ़ी नए दौर के कौशल में अपनी महारत की बदौलत वैश्विक रोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेती दिखाई देगी। इससे रोजगार बढ़ेगा, विदेशी मुद्रा की कमाई बढ़ेगी और देश में विकास की रफ्तार तेज होगी।

जयंतीलाल भंडारी
(लेखक बाजार विशेषज्ञ हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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