ऑक्सीजन को लेकर देश में हाहाकारी स्थिति है। लगातार अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतें सरकार के इंतजामों की पोल खोल रही हैं। कोरोना मरीजों की बढ़ती संया ने सरकार के सभी इंतजामों पर पानी फेर दिया है। देश ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की भारी किल्लत से जूझ रहा है। हालात ऐसे हो गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना पड़ा है। कोर्ट का यह कहना कि ऑक्सीजन पर नेशनल इमरजेंसी जैसे हालात हैं। सरकार की व्यवस्था की पोल खोल रहा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर ऑक्सीजन की कमी दुरुस्त करने के लिए राष्ट्रीय योजना मांगी है। कोर्ट ने पूछ रहा है कि सरकार का कोरोना से निपटने के लिए प्लान या है? सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार से ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं, टीकाकरण के तरीकों और लॉकडाउन घोषित करने का अधिकार राज्य सरकारों को हो, विषयों पर जवाब मांगा है। 23 अप्रैल को शीर्ष अदालत फिर इस पर सुनवाई की। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर ऑक्सीजन की कमी को लेकर सती दिखाई।
सुप्रीम कोर्ट का यह कहना न्यायसंगत है कि फैट्रियां ऑक्सीजन का इंतजार कर सकती हैं, इंसान नहीं। केंद्र सरकार के लिए अदालतों की यह सत टिप्पणी है। मेडिकल ऑक्सीजन को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उच्च स्तरीय बैठक की और राज्यों से कहा कि बिना रुकावट आपूर्ति सुनिश्चित हो। इसके बावजूद ऑक्सीजन टैंकर रोके जाने की खबर आ रही है, इसमें दिल्ली व हरियाणा के बीच मतभेद सामने आए। लगता है इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय जागा है। मंत्रालय ने मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति और उत्पादन के लिए बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कठोर आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत राज्यों को मेडिकल ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति, उत्पादन और उसके अंतरराज्यीय परिवहन को तय करने के निर्देश दिए हैं। जब देश में मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात हों तभी राज्यों के बीच ऑक्सीजन की आवाजाही को लेकर तकरार व आरोप-प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण है। मंत्रालय का निर्देश साफ है कि राज्यों के बीच मेडिकल ऑक्सीजन की आवाजाही बाधित न हो। इस आदेश की अवहेलना होने की शिकायत मिलने पर संबंधित जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक जवाबदेह होंगे। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि ऑक्सीजन उत्पादकों पर अधिकतम सीमा की कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
देर से ही सही, पर ऑक्सीजन आपूर्ति व उत्पादन को लेकर सरकार के सत निर्देश सराहनीय है। इस वत कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त और निर्बाध उपलब्धता बेहद जरूरी है। ऐसे में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखना आवश्यक है। ऐसे कठिन हालात में केंद्र ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ऑक्सीजन संबंधी निर्देशों के पालन के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेना जरूरी था। एक राज्य का दूसरे राज्य जा रहे ऑक्सीजन टैंकरों को रोकना अच्छी बात नहीं है। अब प्रधानमंत्री शुक्रवार को आंतरिक बैठक करेंगे, मुख्यमंत्रियों से बात करेंगे व देश में अग्रणी ऑक्सीजन निर्माताओं के साथ वीसी से बैठक करेंगे। यह सरकार की गंभीरता दिखाती है। चूंकि अब देश में कोरोना का डबल व ट्रिपल म्यूटेंट आ गया है, जो कि अधिक संक्रामक है व जानलेवा साबित हो रहा है, ऐसे में ऑक्सीजन की कमी व दवाओं की दिकतें मरीजों पर भारी पड़ रही हैं, इसलिए केंद्र व राज्य सरकारों व सरकारी व निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी अहम है।