गुलाब का इस्तेमाल खुशबू और खूबसूरती के लिए किया जाता है। यूनानी पद्धति में इसे मुसर्रे कहा जाता है। इस पद्धति में गुलाब का इस्तेमाल कई दवाओं को बनाने में सालों से किया जा रहा है। गुलाब की सिर्फ पंखुडिय़ां ही नहीं, इसका तेल भी कई मर्ज के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका तेल तनाव दूर करने के साथ शरीर की सूजन को घटाने में भी मदद करता है।
गुलाब के तेल में खूबियां: यह एंटीसेप्टिक और एंटीडिप्रेसेंट की तरह काम करता है। एंटीइंफ्लेमेट्री होने के कारण यह सूजन को भी घटाने का काम करता है। इसके अलावा इसमें विटामिन-सी, बी2 और ई खासतौर पर पाया जाता है। तनाव और डिप्रेशन में होने पर इसकी खुशबू सूंघें। या रुई की मदद से इसे गर्दन, कलाई या सीने पर लगाएं। या फिर बाथ टब में हल्का गुनगना पानी लें और उसमें इसकी 10 बूंदें डालें। इस पानी से नहाएं।
ऐसे तैयार होता है गुलाब का तेल: औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाला गुलाब का तेल खास तरह के गुलाब के फूल से तैयार किया जाता है। उस फूल का नाम है डमस्कस गुलाब। यह गुलाब का सबसे खुशबूदार फूल होता है जिसे औषधि के अलावा अरोमा थैरेपी में भी प्रयोग किया जाता है। गुलाब की ताजा पत्तियों को स्टीम प्रॉसेस की मदद से इसका तेल निकाला जाता है।
तनाव: एंटीडिप्रेसेंट खूबी के कारण यह दिमाग को शांति देकर तनाव को दूर करता है। इस तेल से दी जाने वाली अरोमा थैरेपी पॉजिटिव विचारों के साथ खुशी को बढ़ाने वाले हार्मोंस जैसे एंडोर्फिन, डोपामाइन और सेरेटोनिन को रिलीज करने में मदद करते हैं।
संक्रमण: स्किन पर बाहरी रूप से होने वाले कई प्रकार के घावों को भरने और संक्रमण को दूर करने में गुलाब का तेल मदद करता है। यूनानी पद्धति में स्किन के लिए इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है। प्यूरीफायर: गुलाब का तेल हेमोस्टेटिक ड्रग की तरह काम करता है जो अनियंत्रित रक्तस्त्राव को रोकता है। चोट या महिलाओं में माहवारी के दौरान अधिक ब्लड निकलने की स्थिति में यह फायदेमंद है। यह खून को साफ करने में मददगार है।
निशान को घटाता है: चेहरे पर होने वाले मुहांसे और शरीर में होने वाले दाद ठीक होने के बाद निशान छोड़ जाते हैं, ऐसे में गुलाब के तेल का रेग्युलर इस्तेमाल करते हैं तो दाग-धब्बों के निशान हल्के पड़ जाते हैं। महिलाओं में डिलीवरी के बाद शरीर पर पडऩे वाले स्ट्रेच मार्क्स को दूर करने में भी यह फायदेमंद है।
मरोड़ और नसों के लिए फायदेमंद: इसमें मौजूद एंटीस्पास्मोडिक तत्व नसों व मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव में राहत देता है। साथ ही पेट में उठने वाले मरोड़ों में भी असरदार है। नसों की मजबूती देने में गुलाब का तेल टॉनिक का काम करता है। इसके रेग्युलर इस्तेमाल से नसों और मांसपेशियों की कोशिकाएं एक्टिव होकर मजबूत बनती हैं।