विश्व में ऐसा कोई द्विपक्षीय रिश्ता नहीं है जो इतना व्यापक, जटिल और गुणात्मक तौर पर समृद्ध हो, जितना कि अमेरिका और भारत का है। हम रक्षा, आतंकवाद से मुकाबले, साइबर सुरक्षा, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, कृषि, अंतरिक्ष और बहुत-से अन्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग कर रहे हैं। पिछले दो दशकों के दौरान जहां हमारी रणनीतिक भागीदारी उच्चतर स्तर की ओर बढ़ती रही है, वहीं पिछले चार साल का समय आकांक्षाओं और उपलब्धियों के तौर पर उभरा है। हमारे राजनयिक समन्वय का प्रवाह भारत के उत्थान में मदद की अमेरिकी प्रतिबद्धता और स्वतंत्र तथा मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर हमारी साझा दृष्टि से संचालित है। हालांकि हिंद-प्रशांत की अवधारणा कई वर्षों से आकार ले रही है, लेकिन पिछले चार सालों में ही हमारे देशों ने इसे वास्तविकता में बदलने की आकांक्षा प्रदर्शित की है।
हमने आसियान की केंद्रीयता का साथ देते हुए इस क्षेत्र का खाका तैयार करने के लिए समान विचारों वाले देशों के साथ समन्वय शुरू कर दिया है। हमारे त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलनों (वर्ष 2018 और 2019 में जापान के साथ) और चतुष्कोणीय मंत्री स्तर वार्ता (वर्ष 2019 और 2020 में जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ) से सहयोग में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें समुद्री सुरक्षा, वैश्विक महामारी प्रबंधन, क्षेत्रीय कनेक्टिविटी, मानवीय मदद, आपदा राहत और साइबर सुरक्षा शामिल है। अगले पांच सालों में और उससे आगे हमारा मिशन इस प्रयास को और सुदृढ़ बनाने का होना चाहिए, जिससे संप्रभुता और नियम आधारित व्यवस्था का आदर करने वाले क्षेत्र के सभी देश समृद्धि पा सकें।
लोकतांत्रिक देश होने के नाते अमेरिका और भारत शांति और राजनय के प्रति प्रतिबद्ध हैं। पिछले चार सालों में हमने हमारी सीमाओं से परे भी सुरक्षा प्रदान करने के लिए उद्देश्यपूर्ण तरीके से आपसी रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहराई दी है। सितंबर 2018 में अमेरिका और भारत की रक्षा और विदेश नीति का नेतृत्व करने वालों के बीच शुरुआती 2प्लस2 मंत्री स्तरीय वार्ता से हमारी द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा भागीदारी नए स्तर पर पहुंची है। हम इस तरह की तीन मंत्री स्तरीय वार्ताएं आयोजित कर चुके हैं और प्रत्येक में महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इससे हमारे सुरक्षा बलों और रक्षा उद्योग की अंतरसंचालन क्षमता बढ़ी है।
हमने सैन्य अभ्यासों की मजबूत शृंखला के ताने-बाने को और विस्तार दिया है, जिसमें वर्ष 2019 में पहली बार सेना के तीनों अंगों के साथ सैन्य अभ्यास और मालाबार सैन्य अभ्यास में जापान के साथ ही आस्ट्रेलिया की भी भागीदारी शामिल है। इन और अन्य उपलब्धियों को देखते हुए मेरा मानना है कि किसी भी देश के भारत के साथ रक्षा संबंध उतने मज़बूत नहीं हैं, जितने अमेरिका के हैं। आज जब भारत अपनी सीमा पर उग्र चीनी गतिविधियों का सामना कर रहा है, तब हमारा निकट समन्वय महत्वपूर्ण रहा है।
हमें आर्थिक क्षेत्र में भी उसी स्तर की आकांक्षाओं की आवश्यकता है। यहां हमारे व्यापार और निवेश संबंध लगातार बढ़ रहे हैं लेकिन अभी तक अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। वर्ष 2019 में माल और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 146.1 अरब डॉलर से भी अधिक हो गया। वर्ष 2001 के 20.7 अरब डॉलर की तुलना में इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत के कुल निर्यात का लगभग 16 प्रतिशत अब अमेरिका की ओर रुख करता है। भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार अमेरिका है और भारत, अमेरिका का 12वां सबसे बड़ा भागीदार। निष्कर्ष यह कि भारत में रोजगार सृजन, तकनीक प्रसार और आर्थिक बेहतरी के लिए कोई और देश अमेरिका जितना योगदान नहीं करता।
हमारी भागीदारी का एक और अहम स्तंभ है ऊर्जा, जिसमें हमने पिछले चार सालों के दौरान महत्वपूर्ण नतीजे हासिल किए हैं। हमने वर्ष 2018 में अपनी रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी की शुरुआत की और अमेरिका अब भारत के लिए ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। वर्ष 2019 तक भारत अमेरिकी कोयले के लिए सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य, अमेरिकी कच्चे तेल के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य और अमेरिकी द्रवीकृत प्राकृतिक गैस के लिए सातवां सबसे बड़ा गंतव्य बन चुका था। इन सबने भारत के ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने में मदद की है। आज अमेरिका की 100 से भी अधिक कंपनियां भारत के साथ ऊर्जा क्षेत्र में शामिल हैं।
स्वास्थ्य और बायोमेडिकल क्षेत्र में नवप्रवर्तन भी दोनों देशों के लिए शीर्ष प्राथमिकता रही है। सफल सहयोग के हमारे इतिहास ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में हमारे संयुक्त प्रयासों को आकार दिया है। यू.एस. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के विशेषज्ञों ने तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशिक्षण में भारत के प्रयासों में सहायता की है, जिनमें संपर्कों का पता लगाना, नैदानिक जांच और स्वास्थ्य परिसरों में संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण शामिल है। सीडीसी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सैकड़ों भारतीय ग्रैजुएट इस वायरस से भारत के मुकाबले में सबसे आगे रहे हैं। इसके अतिरिक्त, अमेरिका और भारत के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने और कोविड-19 का इलाज करने में भी सहयोग कर रहे हैं। हमारे स्वास्थ्य क्षेत्रों में अधिक सुरक्षित चिकित्सा आपूर्ति शृंखला विकसित करने और आगे काम करने के लिए व्यापक संभावनाएं हैं। हमारे स्वास्थ्य सहयोग ने सिर्फ अमेरिका और भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाया है।
लोगों से लोगों का संपर्क महान लोकतंत्रों में सरकारें जन भावनाओं का ध्यान रखती हैं। हमारे लोगों से लोगों के बीच के संबंध हमारे रिश्तों के लिए ठोस आधार प्रदान करते हैं। दोनों देशों के लीडरों ने इस बात को पहचाना है कि इन संबंधों को सही रखना हमारे और स्वतंत्र तथा मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। पिछले चार सालों में हमारे द्वारा पूरे किए गए कार्यों पर मुझे गर्व है और विश्वास है कि आगामी अमेरिकी प्रशासन हमारे भारतीय भागीदारों के साथ इस रुझान को जारी रखेगा क्योंकि हर नया अमेरिकी प्रशासन भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अपने पूर्ववर्तियों के कार्यों पर ही सफलतापूर्वक आगे बढ़ता रहा है।
केनेथ जस्टर
(लेखक भारत में यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के राजदूत हैं, ये उनके निजी विचार हैं)