कोरोना पर भारत ने जैसी लगाम लगाई है, वह सारी दुनिया के लिए आश्चर्य और ईर्ष्या का विषय हो सकता है। सारी दुनिया में इस महामारी से लगभग डेढ़ लाख लोग मर चुके हैं और 22 लाख से ज्यादा संक्रमित हो चुके हैं। जिन देशों में हताहतों की संख्या भारत से कई गुना ज्यादा है, उनकी जनसंख्या भारत के मुकाबले बहुत कम है। यदि वे देश भारत के बराबर बड़े होते तो हताहतों की यह संख्या उन देशों में भारत से कई सौ गुना ज्यादा हो जाती। आज तक भारत में मृतकों की संख्या लगभग 450 है और संक्रमितों की संख्या 15 हजार से भी कम है। यदि जमाते-तबलीग की मूर्खता नहीं होती तो अभी तक तो तालाबंदी कभी की उठ गई होती। अब भी पता नहीं क्यों, हमारे कुछ मुसलमान भाई अफवाहों और गलतफहमियों के शिकार हो रहे हैं। कोरोना तो उनको मार ही रहा है, वे भी खुद को मौत के कुंए में ढकेल रहे हैं। हमारे नेता लोग उनसे सीधा संवाद क्यों नहीं करते ?
लगभग साढ़े तीन सौ जिलों में तो एक भी संक्रमित रोगी नहीं मिला है। कुछ दर्जन जिले जिनमें मुंबई, दिल्ली, इंदौर जैसे जिले शामिल हैं, उनमें ठीक समय पर कार्रवाई हो जाती तो भारत सारी दुनिया के लिए आदर्श राष्ट्र बन जाता। यह तब होता जबकि भारत संपन्न राष्ट्र नहीं है। उसकी स्वास्थ्य सेवाएं इटली, फ्रांस और अमेरिका के मुकाबले बहुत कमजोर हैं। उसमें साफ-सफाई की भी कमी है। इसके बावजूद भारत में यह कोरोना वायरस क्यों मात खा रहा है ? इसका मूल श्रेय भारत की जनता और हमारी सरकारों को है। केंद्र और राज्यों की सरकारों ने जो तालाबंदी घोषित की है, उसका लोग जी-जान से पालन कर रहे हैं। कुछ जमातियों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को छोड़ दें तो सभी मज़हबों, सभी जातियों, सभी वर्गों, सभी प्रांतों और सभी दलों के लोग एकजुट होकर कोरोना का मुकाबला कर रहे हैं।
अब कोरोना के जांच यंत्र लाखों की संख्या में भारत में आ चुके हैं। हमारे डाक्टर और नर्सें जिस वीरता और त्याग का परिचय दे रहे हैं, वह सारी दुनिया के लिए आदर्श है। किस देश में मरीज उन पर हमला कर रहे हैं ? भारत की कुनैन की दवाई अब दुनिया के 55 देशों में पहुंच गई है। अब शीघ्र ही भारत सरकार किसानों, मजदूरों और व्यापारियों के लिए समुचित सुविधाएं मुहय्या करनेवाली है। रिजर्व बैंक ने देश के काम-धंधों में जान फूंकने के लिए 50 हजार करोड़ रु. की राशि की घोषणा की है। जाहिर है कि कोरोना की हार की शुरुआत हो चुकी है।
डॉ वेदप्रताप वैदिक
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )