चिकित्सकीय संसाधन में वृद्धि आवश्यक

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देश में कोरोना के मामले में तेजी आई है, यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। जैसे-जैसे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे संसाधनों की कमी जमीनी स्तर पर दिखाई दे रही है। दिल्ली सरकार कह रही है कि यहां केवल दिल्लीवासियों का ही इलाज होगा। मुंबई में बेड की कमी का आरोप लग रहा है। कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है, उसी हिसाब से अपने संसाधनों में भी वृद्धि की जानी चाहिए। अभी भी देश में कान्ट्रैट सैंपलिंग हो रही है जबकि अब तक रेंडम सैंपलिंग वृहद स्तर पर शुरू होनी चाहिए। यूपी में अभी तक प्रतिदिन 11308 सैंपल की जांच की जा रही है जबकि आबादी के अनुपात में यह जांच काफी कम है। कोरोना से संक्रमित होने वालों की संख्या दस हजार से ऊपर पहुंच गई है। प्रदेश में 1905 हॉट स्पॉट क्षेत्र हैं। ये आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। वही देश में भी आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। संक्रमितों की संख्या ढाई लाख से पार कर रही है। सात हजार से अधिक लोग संक्रमण के मारण काल के गाल में समा चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में भारत व चीन में कोरोना संक्रमण के मामले अमेरिका से ज्यादा होंगे। अमेरिका में साढ़े उन्नीस लाख से भी अधिक संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं।

कोरोना के सर्वाधिक संक्रमण वालो देशों में भारत का स्थान लगातार ऊपर चढ़ रहा है। इस समय भारत छठे स्थान पर है। अमेरिका, ब्राजील, रूस, स्पेन, ब्रिटेन के बाद भारत का नम्बर है। अनलॉक-1 में भारत में करोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। अनलॉक डाउन में दी गयी छूट की समीक्ष की जानी चाहिए। जो छूट अनावश्यक हो और संक्रमण फैलने का कारण बन सकता हो, उसे वापस लेने की जरूरत है। देखने में आ रहा है कि अनलॉक-1 छूट का लोग अनुचित फायदा उठा रहे हैं। बाजारों के सरकारी निर्देशों का जमकर उल्लंघन हो रहा है। अधिकांश दुकानदार अपनी दुकानों में बचाव का केवल औपचारिकता निभाते दिख रहे हैं। बाजारों में दुकानों के बाहर सामान न रखने का निर्देश है परन्तु इसका पालन पूर्णतया नहीं हो रहा है। फलस्वरूप लोगों के आवागमन के लिए सड़कें संकरी हो जा रही हैं। बाजारों में धीरे-धीरे भीड़ बढ़ रही है। लोग सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करते दिखाई दे रहे हैं। यूपी में अब तक धारा 188 के अन्तर्गत 63008 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। इसमें 173471 लोगों को नामजद किया गया है। सरकार की कार्रवाई से अंदाजा लग सकता है कि लोग कितने लापरवाह हैं। लापरवाही व नियमों का अवहेलना ऐसे ही जारी रहा तो संक्रमण बढ़ता ही जाएगा।

संक्रमण रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं है। यह जिम्मेदारी हम सबकी सामूहिक रूप से है। ऐसा नहीं है कि सभी लोग संक्रमण से बचने के नियमों व निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। परन्तु कुछ लोग लापरवाह भी हैं। इन्हीं लापरवाह लोगों के चलते संक्रमण की दर बढ़ सकती है। ये लापरवाह लोग समाज के लिए घातक हो सकते हैं। नियमों व निर्देशों की अवहेलना करने वालों से सरकार को सती से निपटना होगा। समाज के जिम्मेदार लोगों को भी आगे आकर अपनी जिम्मेदारी संभालनी होगी। जहां नियमों का उल्लंघन हो रहा हो वहां जाकर लोगों को जागरूक करना होगा। संक्रमण को रोकना प्रत्येक भारतीय का नैतिक दायित्व है। संक्रमण को लेकर विशेषज्ञ समिति ने कम्युनिटी संक्रमण में जाने का संकेत दिया है। यदि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में ऐसा हुआ तो स्थिति विकट हो जाएगी। घनी आबादी वाले भारत में संक्रमण को रोकने में काफी मुश्किलें आ सकती हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सितंबर के मध्य तक कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाएगा। इसका अनुमान लगाने के लिए विशेषज्ञों ने वैले गणितीय मॉडल का उपयोग किया है। स्थितियां निंयत्रण में जरूर जाएंगी लेकिन सरकार को चिकित्सकीय संसाधन बढ़ाने होंगे।

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