सार गीता का सार By admin - September 16, 2020 0 270 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp न शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि , जल वायु पृथ्वी आकास से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है फिर तुम क्या हो ?